आरजीआईपीटी, जायस में अनुगम 2025 का आयोजन
राजीव गाँधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान (आरजीआईपीटी) में दो दिवसीय अनुगम-2025 (Orientation-2025) समारोह का आयोजन किया गया। इसका आयोजन मुख्य रूप से बी.टेक. पाठ्यक्रमों में, अकादमिक सत्र 2025-26 में नामांकन लिये छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों का स्वागत करने के उद्देश्य से किया गया। अनुगम समारोह का उद्घाटन शनिवार, 09 अगस्त 2025 को किया गया।
अनुगम-2025 का शुभारम्भ, मुख्य अतिथि माननीय आचार्य एम.पी. गुप्ता, निदेशक, आई आई एम, लखनऊ, विशिष्ट अतिथि निदेशक- फिन ट्रस्ट एडवाइज़र, श्री रोहित थॉमस कोशे, तथा संस्थापक एलज़ाटेक एवं ओडियो श्री कुनाल जैन, संस्थान के 2008 बैच के पूर्व छात्र तथा अग्रणी प्रौद्योगिकी प्रबंधक, हनीवेल श्री निशेश गर्ग, संस्थान के 2009 बैच के पूर्व छात्र तथा मिन्त्रा के वरिष्ठ उत्पाद प्रबंधक, श्री अपूर्व मित्तल तथा संस्थान के निदेशक आचार्य हरीश हिरानी द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। संस्थान के संचालक मण्डल के अध्यक्ष तथा आईसीटी मुम्बई के कुलपति आचार्य अनुरुद्ध बी. पंडित अनुगम समारोह में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े रहे। कार्यक्रम का आरम्भ छात्र-छात्राओं द्वारा सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति से हुई।

संस्थान के निदेशक आचार्य हरीश हिरानी ने कहा कि अनुगम-2025 का आयोजन, इस वर्ष नामांकन लिए बच्चों व उनके अभिभावको के लिए स्वागत सह परिचय कार्यक्रम के रूप में किया गया है ताकि उन्हें संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं व संबंधित प्राध्यापकों से परिचय कराया जा सके। आचार्य हिरानी ने देश के विभिन्न बेसिनों में अधिक खोज (एक्सप्लोरेशन) की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में वृद्धि करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता कम हो और भारत की ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत हो। आचार्य हिरानी ने हाइड्रोजन को भविष्य के लिए तैयार स्वच्छ ऊर्जा समाधान के रूप में प्रस्तुत किया, जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को मज़बूत करते हुए टिकाऊ ऊर्जा प्रणाली के परिवर्तन के लिए आवश्यक है।
मुख्य अतिथि, आचार्य एम. पी. गुप्ता ने नव प्रवेशित बी.टेक छात्रों को समर्पण और उत्कृष्टता के जुनून के साथ अपनी शैक्षणिक यात्रा शुरू करने के लिए प्रेरित किया। अपने संबोधन में, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सिद्धांतों और तकनीकों में महारत हासिल करने के अलावा, समस्या-समाधान कौशल, विश्लेषणात्मक सोच और रचनात्मकता को विकसित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ये ऐसे गुण हैं जिनका अनुसंधान, उद्योग और समग्र समाज में अत्यधिक महत्व है। 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के माननीय प्रधान मंत्री के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए, आचार्य गुप्ता ने छात्रों और संकाय सदस्यों, दोनों से राष्ट्र के विकास में सार्थक योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने, नवोन्मेषी व्यावसायिक मॉडल विकसित करने और ऊर्जा एवं संबद्ध क्षेत्रों की चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

आरजीआईपीटी संचालक मण्डल के अध्यक्ष तथा आईसीटी मुम्बई के कुलपति आचार्य अनुरुद्ध बी. पंडित ने ऊर्जा के सदुपयोग में इंजीनियरिंग के विभिन्न विभागों के महत्व पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिए आरजीआईपीटी द्वारा प्रदान किए जाने वाले वैकल्पिक पाठ्यक्रमों को रेखांकित किया।
विशिष्ट अतिथि श्री कुनाल जैन ने विद्यार्थियों को अपने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम से जुड़े मूलभूत विषयों के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तीव्र गति से विकसित हो रही तकनीकों के साथ स्वयं को अनुकूलित करने की आवश्यकता पर जोर छात्र/छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।
आरजीआईपीटी के 2008 बैच के पूर्व छात्र श्री निशेश गर्ग (हनीवेल यूओपी), जिन्होंने “जर्नी ऑफ़ सर्कस: 10 स्टेप्स टू पर्सनल मास्टरी” लिखा है, ने नए प्रवेशार्थियों को एक प्रेरक भाषण दिया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने चार वर्षों को परिवर्तन के एक चरण के रूप में देखें, प्रभावशाली आदतें विकसित करें, ज्ञान के अपरंपरागत स्रोतों की तलाश करें और परियोजनाओं एवं शोध के माध्यम से संश्लेषण का अभ्यास करें। अनुकूलनशीलता और स्व-परिभाषित मूल्यों पर ज़ोर देते हुए, उन्होंने छात्र/छात्राओं को न केवल अपने कौशल, बल्कि अपनी विचारधारा, पहचान और भविष्य को भी आकार देने के लिए प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक आचार्य हरीश हिरानी द्वारा की की गई। इस अवसर पर संस्थान के समस्त अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य तथा कर्मचारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन अधिष्ठाता (शैक्षणिक मामले) आचार्य चंचल कुण्डु के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।
