“ग्रामीण भारत में शिक्षा का हाल: ASER ने दिखाई सच्चाई”
नई दिल्ली: नई दिल्ली में एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2024 को प्रथम के सह संस्थापक डॉ. माधव चव्हाण और फरीदा लाम्बे द्वारा जारी किया गया। यह चौदहवीं ‘बेसिक’ असर रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में भारत के 605 ग्रामीण जिलों के 17,997 गांवों के 649,491 बच्चों को शामिल किया गया। उत्तर प्रदेश में यह सर्वेक्षण 70 जिलों के 2,100 गांवों में 89,739 बच्चों पर किया गया, जिसमें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) का सहयोग रहा।
असर 2024 तीन प्रमुख आयु वर्गों – पूर्व-प्राथमिक (3-5 वर्ष), प्राथमिक (6-14 वर्ष), और बड़े बच्चे (15-16 वर्ष) – पर केंद्रित है। साथ ही, आयुवर्ग 14-16 के बच्चों की डिजिटल पहुंच और उपयोग पर भी विशेष जोर दिया गया।
असर 2024: मुख्य निष्कर्ष
पूर्व–प्राथमिक (आयु 3-5 वर्ष):
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा की सार्वभौमिकता पर जोर दिया गया है। असर 2024 के अनुसार:
- राष्ट्रीय स्तर पर, 3-4 वर्ष के 80% से अधिक बच्चे पूर्व-प्राथमिक संस्थानों में नामांकित हैं। उत्तर प्रदेश में यह आँकड़ा 55.6% है।
- कक्षा I में प्रवेश करने वाले “कम उम्र” (5 वर्ष या कम) बच्चों का अनुपात राष्ट्रीय स्तर पर 16.7% और उत्तर प्रदेश में 16.3% है। यह 2022 के मुकाबले उल्लेखनीय गिरावट है।
प्राथमिक शिक्षा (आयु 6-14 वर्ष):
- राष्ट्रीय स्तर पर, 6-14 वर्ष के बच्चों की विद्यालय नामांकन दर 98% से अधिक है। उत्तर प्रदेश में यह दर 96% से ऊपर बनी हुई है।
- सरकारी विद्यालयों में बुनियादी पढ़ने और गणित के कौशल में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
- बुनियादी पढ़ना (कक्षा III): उत्तर प्रदेश में, सरकारी विद्यालयों के कक्षा III के 27.9% बच्चे कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ने में सक्षम हैं, जो 2018 के 12.3% और 2022 के 16.4% से काफी बेहतर है।
- बुनियादी गणित (कक्षा III): कक्षा III के 40.7% बच्चे घटाव का सवाल हल कर सकते हैं, जबकि 2018 में यह आँकड़ा 26.9% था। सरकारी विद्यालयों में यह आँकड़ा 31.6% तक पहुँच गया है।
- बुनियादी गणित (कक्षा V): कक्षा V के 51.2% बच्चे भाग का सवाल हल कर सकते हैं। सरकारी विद्यालयों में यह आँकड़ा 31.8% तक पहुँच गया है।
बड़े बच्चे (आयु 15-16 वर्ष):
- इस आयुवर्ग के विद्यालय में नामांकित न होने वाले बच्चों का अनुपात घटकर 7% रह गया है। उत्तर प्रदेश में यह आँकड़ा लड़कियों के लिए 15% और लड़कों के लिए 10.7% है।
- राष्ट्रीय स्तर पर, 90% से अधिक किशोरों के पास स्मार्टफोन की सुविधा है। उत्तर प्रदेश में यह आँकड़ा 87% है, और 72% बच्चे बुनियादी डिजिटल कार्य करने में सक्षम हैं।
विद्यालय अवलोकन:
- मध्याह्न भोजन, शौचालय, पेयजल और पुस्तकालय जैसी बुनियादी सुविधाओं में लगातार सुधार हो रहा है।
- निपुण भारत कार्यक्रम के तहत अधिकांश विद्यालयों तक आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN) कार्यक्रम पहुँच गया है।
असर 2024 ने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव और चुनौतियों को सामने रखा है, जो नीति निर्माताओं और शिक्षाविदों के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है।