71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में ज़ी स्टूडियोज़ ने रचा इतिहास; 8 पुरस्कारों के साथ ऐतिहासिक जीत
किसी भी भारतीय स्टूडियो ने अब तक ऐसा नहीं किया है मुंबई, अगस्त 2025: यह पहली बार हुआ है, जब एक ही स्टूडियो ने सबसे प्रतिष्ठित श्रेणियों में जीत हासिल की है, एक ऐसा क्लीन स्वीप जो मुख्यधारा की हिंदी सिनेमा से लेकर क्षेत्रीय भारत की आत्मा तक फैला हुआ है। 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में ज़ी स्टूडियोज़ ने 8 राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ एक नया मानक स्थापित किया है, यह साबित करते हुए कि जब कहानियाँ मकसद, ताकत और धड़कन के साथ बनाई जाती हैं, तो इतिहास बनता है। हिंदी सिनेमा के लिए यह गर्व का क्षण था।
’12वीं फेल’ को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला, यह रात का सबसे बड़ा सम्मान था। यह फिल्म एक शांत नायकत्व की नई परिभाषा बन गई, जिसने लाखों लोगों को प्रेरित किया। इसी फिल्म के लिए विक्रांत मैसी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला, उनके ईमानदार अभिनय ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सच्चाई हमेशा मंच पर राज करती है।

‘मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ में अपनी दिल को छू लेने वाली परफॉर्मेंस के लिए रानी मुखर्जी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान मिला। और ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ के लिए दीपक किंगरानी को सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक का पुरस्कार मिला।
लेकिन, यह जीत सिर्फ बॉक्स ऑफिस या सितारों की नहीं थी। ज़ी स्टूडियोज़ की क्षेत्रीय फिल्मों ने भी ज़ोरदार उपस्थिति दर्ज की।

मराठी फिल्म ‘नाल 2’ को सर्वश्रेष्ठ बाल फिल्म का सम्मान मिला। यह एक मासूम बचपन की गहराई और पहचान को दर्शाती कोमल कहानी है। इसी फिल्म के लिए त्रीशा ठोसर, श्रीनिवास पोखले और भार्गव जगताप को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार चुना गया।

पंजाबी फिल्म ‘गोड़ड़े गोड़ड़े चा’ को सर्वश्रेष्ठ पंजाबी फिल्म का पुरस्कार मिला। यह फिल्म समाज की परंपराओं पर सवाल उठाते हुए उत्सव में ढकी हुई एक सशक्त कहानी है।
और ज़ी स्टूडियोज़ की नई प्रतिभाओं को सँवारने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, ‘आत्मपम्फ्लेट’ के लिए सर्वश्रेष्ठ डेब्यू निर्देशक का पुरस्कार मिला।
ज़ी स्टूडियोज़ सिर्फ ट्रेंड्स के पीछे नहीं भागता, वह संस्कृति को आकार देता है।
हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान से लेकर गहराई से जुड़ी क्षेत्रीय कहानियों तक, यह क्षण सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि क्राँतिकारी भी है।