Top Newsउत्तर प्रदेशराज्य

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में शिक्षकों के लिए ‘कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (यूजीसी विनियम, 2015)’ विषय पर हुआ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन 

           बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 16 दिसंबर को आंतरिक शिकायत समिति की ओर से शिक्षकों के लिए ‘कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (यूजीसी विनियम, 2015)’ विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर महिला एवं बाल विकास विभाग, लखनऊ के डिप्टी डायरेक्टर श्री प्रवीन त्रिपाठी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त मुख्य तौर पर आंतरिक शिकायत समिति,‌ बीबीएयू‌ की अध्यक्ष प्रो. आभा मिश्रा एवं डॉ. बलजीत श्रीवास्तव उपस्थित रहे। सर्वप्रथम प्रो. आभा मिश्रा ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया।
           विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने आंतरिक शिकायत समिति  के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना समिति की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आईसीसी का मुख्य उद्देश्य लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम, पीड़ितों को न्याय दिलाना तथा विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षित, संवेदनशील और समान अवसरों वाला वातावरण विकसित करना है। प्रो. मित्तल ने यह भी कहा कि भविष्य में इस दिशा में और अधिक ठोस व प्रभावी कदम उठाए जाएंगे, जिससे जागरूकता को और सुदृढ़ किया जा सके तथा विश्वविद्यालय को पहले से अधिक सुरक्षित, सकारात्मक और भरोसेमंद कार्यस्थल के रूप में विकसित किया जा सके।
           मुख्य अतिथि एवं महिला एवं बाल विकास विभाग, लखनऊ के डिप्टी डायरेक्टर श्री प्रवीन त्रिपाठी ने कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम से जुड़े POSH अधिनियम एवं विशाखा दिशानिर्देशों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनके उद्देश्य, प्रावधानों और व्यवहारिक क्रियान्वयन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विशाखा दिशानिर्देशों और POSH अधिनियम का मूल उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित, सम्मानजनक और भयमुक्त कार्य वातावरण प्रदान करना है, किंतु इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समाज में सकारात्मक सोच और संवेदनशील दृष्टिकोण का होना भी आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कई बार सामाजिक नजरिया ऐसा होता है, जिसके कारण पीड़ित महिलाएं सामाजिक कलंक के भय से अपनी शिकायत दर्ज कराने से हिचकिचाती हैं। श्री प्रवीन त्रिपाठी ने जोर देकर कहा कि हमें ऐसी सामाजिक व्यवस्था विकसित करनी होगी, जहां पीड़ित को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति समाप्त हो और महिलाएं बिना किसी भय या संकोच के अपने अधिकारों के संरक्षण हेतु आगे आ सकें।
           इस अवसर पर एक विचार–विमर्श एवं चर्चा सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने सक्रिय रूप से सहभागिता करते हुए अपने विचार एवं अनुभव साझा किए। चर्चा के दौरान कार्यस्थल पर सुरक्षित, समान एवं संवेदनशील वातावरण के निर्माण, जागरूकता बढ़ाने तथा नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सार्थक संवाद हुआ। शिक्षकों ने अपने सुझाव प्रस्तुत करते हुए इस दिशा में निरंतर संवाद, प्रशिक्षण और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे शैक्षणिक परिसर को अधिक सकारात्मक, सुरक्षित और समावेशी बनाया जा सके।
           कार्यक्रम के अंत में आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि को शॉल भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। समस्त कार्यक्रम के दौरान विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष एवं अन्य शिक्षकगण मौजूद रहें।
---------------------------------------------------------------------------------------------------