Wednesday, November 19, 2025
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बीबीएयू के प्रो. नवीन अरोरा को एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ऑफ इंडिया द्वारा फेलो ऑफ एकेडमी ऑफ माइक्रोबायोलॉजिकल साइंसेज़ से किया गया सम्मानित 

             बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. नवीन कुमार अरोरा को एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ऑफ इंडिया (AMI) द्वारा प्रतिष्ठित ‘फेलो ऑफ एकेडमी ऑफ माइक्रोबायोलॉजिकल साइंसेज़’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें देहरादून, उत्तराखंड में आयोजित एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ऑफ इंडिया के 66वें वार्षिक सम्मेलन तथा ‘नेक्स्ट-जन माइक्रोबायोलॉजी एजुकेशन, इनोवेशन और रिसर्च फॉर इकॉनमी, एनर्जी एंड एनवायरनमेंट’ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रदान किया गया।
          एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ऑफ इंडिया (AMI) माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1938 में हुई थी। देश में माइक्रोबायोलॉजी के विकास में AMI का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान में इस सोसायटी के 5526 आजीवन सदस्य हैं।
          प्रो. अरोरा को यह सम्मान पौधा–सूक्ष्मजीव अंतःक्रिया (plant-microbe interactions) के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया है। उन्होंने पादप-विकास प्रवर्धक (plant growth promoting) बैक्टीरिया की नई प्रजातियों की पहचान की है और यह भी स्पष्ट किया है कि राइजोस्पेयर बैक्टीरिया किस प्रकार विशेषकर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न तनावपूर्ण परिस्थितियों में पौधों के विकास को बढ़ावा देते हैं। प्रो. अरोरा ने नए बायोफर्टिलाइज़र विकसित किए हैं जिनकी मदद से उत्तर प्रदेश की लवणता से प्रभावित भूमि का पुनर्स्थापन हुआ है। इससे मध्य उत्तर प्रदेश के किसानों की ‘उसर’ भूमि की उत्पादकता बढ़ी है और उनकी आजीविका में सुधार आया है।
           उन्होंने मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और फफूंद को प्रयोगशाला में उगाने के लिए एक नवीन वीगन मीडिया विकसित किया है, जिसके लिए उन्हें पेटेंट भी प्रदान किया गया है। यह मीडिया नई सूक्ष्मजीव प्रजातियों की पहचान और अनुसंधान में सहायक होगा। प्रो. अरोरा अब तक 22 डॉक्टोरल शोधार्थियों का मार्गदर्शन कर चुके हैं। वे एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल Environmental Sustainability के Editor-in-Chief भी हैं।
          प्रो. नवीन कुमार अरोरा ने जानकारी देते हुए कहा कि यह प्रतिष्ठित सम्मान माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में दो दशकों से अधिक समय से किए गए सतत कार्य की पहचान है। ऐसे पुरस्कार अनुसंधान के प्रति और अधिक प्रेरित करते हैं, विशेषकर समाज के उत्थान और उनकी समस्याओं के समाधान हेतु। यह मेरे और बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय दोनों के लिए गर्व का क्षण है।
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