जेठ-ननद बने भाई-बहन…विधवा बहू का दोबारा घर बसाया, दूल्हा बोला- मेरी जिंदगी संवर गई
लखनऊ: लखनऊ के रकाबगंज में सोमवार को अनोखी शादी हुई। यहां अपनी विधवा बहू का दोबारा घर बसाने के लिए उसके जेठों और ननदों ने भाई-बहनों की तरह फर्ज निभाया। सुबह पहले बहू की गणेशगंज के आर्य समाज मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी कराई। फिर शाम को राजाजीपुरम में एक मैरिज हॉल में रिसेप्शन हुआ। इसके बाद हंसी-खुशी बहू को उसकी नई ससुराल विदा कर दिया।
एक साल पहले हो गई थी पति की मौत
बाराबंकी के सिविल लाइंस की रहने वाली नीलम निगम उर्फ रुचि (36) की शादी 1 मार्च, 2012 में रकाबगंज के कुंडरी में रहने वाले प्रेम प्रकाश निगम से हुई थी। दोनों की जिंदगी हंसी-खुशी चल रही थी। लेकिन, 1 दिसंबर, 2022 को प्रेम प्रकाश की अचानक कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो गई। इसके बाद नीलम पूरी तरह अकेली हो गई। उसके कोई बच्चा भी नहीं था, इसलिए एक-एक पल काटना मुश्किल हो रहा था। मायके वालों ने भी उससे किनारा कर लिया था। उसे मायके आने तक से मना कर दिया था। ऐसे में उसका सहारा सिर्फ ससुराल ही बचा था।
नीलम के इस दर्द को उसके 3 जेठ और 3 ननदों ने समझा। इन लोगों ने तय किया कि बहू की एक बार फिर से धूमधाम से शादी करेंगे। इसके बाद सबसे छोटी ननद मधु निगम ने अपनी विधवा भाभी के लिए लड़के की तलाश शुरू की। कुछ दिनों की कोशिशों के बाद घर के करीब ही नितिन गुप्ता (41) मिल गए। खुद का बिजनेस करने वाले नितिन के दाहिने पैर में पोलियो है।
नितिन की जिंदगी भी तकलीफों से भरी थी
नितिन जब मात्र डेढ़ साल के थे, तभी उनकी मां की मौत हो गई थी। इसके बाद उनके पिता अशोक गुप्ता ने दूसरी शादी कर ली थी। यहीं से नितिन के जीवन में तकलीफों का दौर शुरू हो गया। एक तो पैर में पोलियो दूसरा मां-बाप का सौतेलापन होने की वजह से न कोई उनको खाना देने वाला था और न ही शादी कराने वाला। स्थिति यह थी कि उनकी दूसरी मां के एक बेटे और एक बेटी की शादी हो गई, लेकिन नितिन अभी तक कुंवारे ही थे।
दूल्हा बोला-मुझे भाई-बहन मिल गए
नितिन बताते हैं, जब दूसरों की शादी होती थी, तो मेरे मन में भी दूल्हा बनने की इच्क्षा होती थी। लेकिन मेरा साथ देने वाला कोई नहीं था। इसीलिए अब तक शादी नहीं पाई थी। लेकिन अब मुझे जो परिवार मिला है, वह बहुत अच्छा है। मुझे ऐसा लग रहा है कि भाई-बहन मिल गए हैं। मेरी जिंदगी संवर रही है। दुल्हन नीलम ने कहा, मुझे तो लग रहा था कि अब मेरी जिंदगी हमेशा वीरान ही रहेगी। लेकिन मेरे जेठ-ननदों ने मेरे जीवन में खुशियां भर दी हैं। मैं पूरी जिंदगी इन लोगों का अहसान नहीं उतार सकती।