Wednesday, November 12, 2025
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योगी मॉडल से यूपी की अर्थव्यवस्था में समाज के अंतिम व्यक्ति का योगदान बढ़ा!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूं ही नहीं हिंदू समाज में सबसे लोकप्रिय नेता नहीं बनते जा रहे हैं।इसके लिये उन्होंने वर्षों से उपेक्षित पड़े लिये हिंदू समाज के कई समूह, पूर्व सरकारों के मदान्धता में डूबे रहने के कारण बहुत जातियों को अंधेरे में ढकेल दिया गया था, उन्हें उबारने का अथक परिश्रम किया। सरकारों की अनदेखी के कारण आजादी के बाद दुर्भाग्य से अंधेरा और उपेक्षा जिसकी किस्मत बन गयी थी, योगी ने ऐसे थारू और वन टंगिया को मुख्य धारा में लाकर उन्हें सम्मान के साथ पहचान दिया। उनको घर दिया, उनके साथ दीपावली मनाया तो उनके घर बिजली पहुंच गयी।उनको उचित मात्रा में भोजन मिले तो उन्हें अनाज मिलने लगा। जिसके कारण एक समूह न सिर्फ कुपोषण से उबरा बल्कि विकास की मुख्य धारा में अपने हुनर के साथ उपस्थित दर्ज करवाने लगा है।
प्रजापति समाज से जो लोग कुम्हारी के पेशे में जुड़े थे उनको मुफ्त में मिट्टी उपलब्ध करवा के उसको बेचने की व्यवस्था कर उनके सामानों का उचित मूल्य भी दिलवाया।उत्तर प्रदेश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में समाज के अंतिम व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित किया। योगी ने “आदित्य” नाम को सार्थक करते हुये समाज में वर्षों से अंधकार में ठेल दिये गये लोगों को आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक जीवन को प्रकाशित कर उन्हें समाज और समाज को उनकी ओर दिखाने में सेतु का कार्य किया है।पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य अशोक कुमार ने कहा कि यह बहुत उत्साहित करने वाला प्रयोग था।जल्द ही हम लोग बढई, लोहार, और केश सज्जा करने वालों के हुनर को पहचान दिलाने में सरकार के सहयोग का खाका बना कर सरकार को देंगे।

बता दें कि इस दीपावली में मुख्यमंत्री ने समाज के ऐसे लोगों का हुनर सामने लाने के लिये 7 से 10 दिन का मेला लगवा दिया। जिसके तहत सीईओ खादी एवं ग्रामोद्योग माटीकला बोर्ड के महाप्रबंधक शिशिर के भगीरथ प्रण से लखनऊ खादी भवन में हाथों से उत्‍पादित दीया से लेकर मूर्ति एवं अन्‍य कई प्रकार के मिट्टी निर्मित साज-ओ-सामान बिक्री सुनिश्चित की गयी। योगी सरकार के द्वारा माटी के काम से जुड़े कुम्‍हारों एवं कलाकारों के लिये किये गये प्रयास का प्रतिफल यह है कि अब मिट्टी का काम करने वाला वर्ग धीरे धीरे खुद ही उपभोक्‍ताओं से जुड़ रहा है। उसे किसी बिचौलिये या सस्‍ते दामों पर होलसेल खरीद करने वालों की कोई जरूरत नहीं रह गई है।माटीकला से जुड़े लोगों को अब उचित आय हो रही है। आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में आयोजित माटीकला मेलों में प्रदेश के कारीगरों व हस्तशिल्प उत्पादों के बिक्री में उल्लेखनीय उछाल आई है। दीपावली के पूर्व बोर्ड ने 10 दिवसीय माटीकला महोत्सव, 07 दिवसीय क्षेत्रीय माटीकला मेले और 03 दिवसीय लघु माटीकला मेले आयोजित किए। इन सभी मेलों में कुल 691 दुकानें लगाई गईं और ₹4,20,46,322 की बिक्री हुई। यह पिछले वित्तीय वर्ष में दर्ज कुल बिक्री ₹3,29,28,410 की तुलना में ₹91,17,912 अधिक है, जो पिछली बार से 27.7 प्रतिशत अधिक है!

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सबसे ज्यादा फोकस परंपरागत शिल्पों व उद्योगों में कार्यरत कारीगरों की उन्नति पर है। प्रदेश समेत देश-विदेश में उनके उत्पादों को वृहद स्तर पर खरीदार मिलें, इसके लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं और माटीकला बोर्ड इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। लखनऊ के खादी भवन में 10 से 19 अक्टूबर 2025 तक आयोजित 10 दिवसीय माटीकला महोत्सव में 56 दुकानों द्वारा ₹1,22,41,700 की बिक्री हुई। गोरखपुर, आगरा, कानपुर देहात और मुरादाबाद में 13 से 19 अक्टूबर तक आयोजित 07 दिवसीय क्षेत्रीय मेलों में 126 दुकानों ने ₹78,84,410 का सामान बेचा। प्रदेश के 70 जनपदों में 17 से 19 अक्टूबर तक आयोजित 03 दिवसीय लघु माटीकला मेलों में 509 दुकानों के माध्यम से ₹2,19,20,212 का सामान बिका।

विक्रय में वृद्धि यह दर्शाती है कि उत्पादों की गुणवत्ता, प्रदर्शनी की व्यवस्था और विपणन सहयोग के चलते माटीकला उत्पादों के प्रति आमजन में जागरूकता और आकर्षण निरंतर बढ़ रहा है। माटीकला बोर्ड निरंतर मेलों, उन्नत प्रदर्शनी प्रबंधन, प्रशिक्षण, डिजाइन विकास व ब्रांडिंग गतिविधियों के माध्यम से कारीगरों को दीर्घकालिक आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। परंपरागत कारीगरों और शिल्पियों की कला को संरक्षित व संवर्धित करने, उनकी सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सुदृढ़ता, तकनीकी विकास और विपणन सुविधा बढ़ाने तथा नवाचार के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड का गठन किया है। इस पहल के माध्यम से न केवल पारंपरिक माटीकला को नई पहचान मिली है, बल्कि हजारों परिवारों को आत्मनिर्भरता का नया आधार भी प्राप्त हुआ है।

योगी सरकार ने प्रजापति समुदाय के उन सभी लोगों के लिए,जो माटीकला उद्योग से जुड़े हैं, एक महत्वपूर्ण सुविधा प्रदान की है कि गांव के तालाबों से मिट्टी निकालने की व्यवस्था निःशुल्क कर दी गई है। इससे कारीगरों को उत्पादन की मूल सामग्री सुलभ हुई है और उनकी लागत में उल्लेखनीय कमी आई है। जबकि इसकी तुलना में उनकी आय बढ़ी है। योगी सरकार के कदम दर्शाते हैं कि मुख्‍यमंत्री परंपरागत शिल्प को केवल संरक्षित करने पर ही ध्‍यान नहीं दे रहे हैं बल्कि उसे आधुनिक विपणन, प्रशिक्षण और नवाचार के माध्यम मिट्टी से बने पारंपरिक उत्‍पादों को वैश्विक मंच तक पहुंचाने का प्रयास भी कर रहे हैं।
सीईओ खादी एवं ग्रामोद्योग माटीकला बोर्ड के महाप्रबंधक शिशिर ने बताया कि योगी सरकार के समग्र समर्थन और बोर्ड के लक्षित प्रयासों के परिणामस्वरूप कारीगरों को सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि मेलों में आए खरीदारों ने स्थानीय शिल्प व पारंपरिक उत्पादों को उत्साहपूर्वक अपनाया, जिससे कारीगरों की आय में वृद्धि हुई है तथा माटीकला उत्पादों की ब्रांड वैल्यू मजबूत हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि आगामी वर्षों में इन मेलों के दायरे का विस्तार कर और अधिक जिलों में इस तरह के आयोजन किए जाएंगे, ताकि प्रदेश के माटीकला उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जुड़ सकें।

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