एमजेपी रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के रासायनिक इंजीनियरिंग विभाग ने सतत अपशिष्ट उपयोग पर व्याख्यान की मेजबानी की
बरेली, 18 अगस्त ।महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय (एमजेपीआरयू) में रासायनिक इंजीनियरिंग विभाग ने कल “अपशिष्ट प्लास्टिक और बायोमास का सतत उपयोग, सर्कुलर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ानाः कुछ अध्ययन” (“Sustainable utilization of waste plastics and biomass advancing circular economy: Some studies”) विषय पर एक आकर्षक व्याख्यान का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के सम्मानित वक्ता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के प्रो. प्रसेनजीत मंडल थे।
व्याख्यान में छात्रों, शोधार्थियों और विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों सहित विविध दर्शकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के शुरुआत में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रभारी Dr. M.S. करुणा ने स्वागत भाषण दिया, जिसके बाद ज्ञानवर्धक और विचारोत्तेजक चर्चा हुई।
प्रो. मंडल ने अपने व्याख्यान में पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक और उसके उत्पादों के पुनर्चक्रण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आईआईटी रुड़की में चल रहे शोध के विषय में अंतर्दृष्टि साझा की, जिसका उद्देश्य अपशिष्ट प्लास्टिक और बायोमास का उपयोग करने के इष्टतम तरीके खोजना है, जिससे एक अधिक टिकाऊ और परिपत्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
प्रो. मंडल की विशेषज्ञता और जटिल अवधारणाओं को आकर्षक और व्यापक तरीके से प्रस्तुत करने की उनकी क्षमता ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। व्याख्यान ने एक जीवंत चर्चा को जन्म दिया, जिसमें उपस्थित लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और इस विषय पर अपने दृष्टिकोण साझा किए।
इस कार्यक्रम में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के कई संकाय सदस्यों और ने भी भाग लिया। डॉ. S.B. तिवारी, डॉ. S.D. सिंह, डॉ. आभा त्रिवेदी, सुश्री आफरीन, श्री तपन वर्मा और श्री विशेष के साथ-साथ कई शोधार्थियों और छात्रों ने विचारों के समृद्ध आदान-प्रदान में योगदान दिया।
इस व्याख्यान का सफल आयोजन एमजेपी रोहिलखंड विश्वविद्यालय की अपने छात्रों और संकाय को प्रमुख विशेषज्ञों के साथ जुड़ने और रासायनिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति से अवगत रहने के अवसर प्रदान करने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। इस आयोजन ने न केवल प्रतिभागियों के ज्ञान का विस्तार किया, बल्कि उन्हें स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन और सर्कुलर अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए अभिनव समाधान तलाशने के लिए भी प्रेरित किया।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट