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कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

कुशीनगर। हर साल कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बिहार-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित बांसी धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस विशेष दिन को लेकर श्रद्धालुओं का विश्वास इतना मजबूत होता है कि वे दूर-दूर से यहां आकर नदी में डुबकी लगाते हैं। आज भी इस दिन, यहां हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और अपने पापों से मुक्ति पाने की इच्छा जताई।

कहा जाता है कि सौ बार काशी में स्नान कर लीजिए, लेकिन बांसी नदी में एक बार स्नान करने से सारे पाप धूल जाते हैं। यह मान्यता प्राचीन काल से चली आ रही है। पं. भरत दीपक मिश्रा ने बताया, “भगवान श्रीराम और माता सीता ने बांसी नदी में स्नान किया था और यही परंपरा आज भी जारी है।” यही कारण है कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं और आस्था के साथ स्नान करते हैं।

बांसी धाम का मेला हर साल भव्य रूप से आयोजित होता है। इस वर्ष, बिहार और यूपी सीमा पर स्थित बांसी नदी के किनारे मेले की तैयारी जोरों पर थी। यहां के स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए हर तरह की व्यवस्था की है और घाटों को सजाया गया है। बिहार-यूपी और नेपाल से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं ने इस वर्ष भी इस धार्मिक अवसर पर स्नान किया।

लोक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीराम और सीता माता विवाह के बाद अयोध्या लौटते वक्त बांसी में रातभर रुके थे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन, उन्होंने अपने सभी अनुयायियों के साथ इस नदी में स्नान किया और कहा था कि जो भक्त इस दिन आस्था के साथ स्नान करेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी। तब से ही इस स्थान को रामधाम भी कहा जाने लगा।

बांसी धाम मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। वर्ष दर वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, और इसके साथ ही बांसी धाम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ रहा है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन बांसी नदी में डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक धरोहर भी है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां स्नान करने से उनके पाप धुल जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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