लखनऊ में 90 दिनों बाद पकड़ा गया खूंखार बाघ: वनकर्मियों ने किया ट्रैंकुलाइज, 20 से ज्यादा कर चुका शिकार
लखनऊ। काकोरी के मीठेनगर में कई महीनों से आतंक मचा रहे बाघ को आखिरकार पकड़ लिया गया। वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रैंक्युलाइज किया। तीन दिसंबर को मीठेनगर के खेत में देखे गए बाघ को वन विभाग ने बड़ी बिल्ली बताया था, लेकिन रहमान खेड़ा केंद्रीय उपोष्ण वैज्ञानिक संस्थान के ब्लॉक नंबर चार में नील गाय का शिकार करने वाले बाघ को 11 दिसंबर को शाम के समय मोबाइल कैमरे में कैद किया गया था। बारह दिसंबर को वहां पर ही नील गाय का अवशेष मिलने के बाद ही बाघ को पकडऩे के लिए वन विभाग जुट गया था। करीब तीन माह का समय हो चुका है और बाघ ने 20 पशुओं का शिकार किया है, जिसमें तीन पड़वा भी हैं, जिसे वन विभाग ने बाघ को पकडने के लिए बांधा था।
यह विडियो भी देखें
वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रैंक्युलाइज किया
सोमवार रात भी उसने पड़वा को मारा था। थर्मल ड्रोन से लेकर ट्रैंक्युलाइज गन के साथ ही सीसीसीटीवी कैमरे के साथ ही लाइव कैमरे लगाए गए हैं। मचान से निगरानी के साथ ही पिंजरे थे जाल भी लगाया गया। दुधवा नेशनल पार्क से हथिनियां डायना और सुलोचना को लेकर काम्बिंग कराई जा रही थी और करीब दस से अधिक विशेषज्ञों टीम आकर जा चुकी थी और उनका क्रमवार आना जारी था।
कई पशुओं का बाघ अब तक कर चुका है शिकार
वन विभाग की भारी भरकम फौज तैनात थी मंत्री से लेकर विभाग के मुखिया का दौरा हो चुका है। एक माह से सरकारी स्कूलों में ताला गया है तो बोर्ड की परीक्षा भी सुरक्षा के साए में हो रही है। करी ब बीस किलोमीटर में बसे पंद्रह गांव में बाघ की दहशत बनी हुई थी।
13 घंटे की निगरानी के बाद पकड़ा गया
वन विभाग के डा.नासिर, डॉ. दक्ष और डॉ. आरके सिंह टीम के साथ बुधवार को सुबह पांच बजे से ही बाघ के होने की चलते निगरानी करने में जुट गए थे। शाम को करीब 6:09 बजे रहमानखेड़ा के पास उस पर बेहोशी के लिए पहला वार किया गया। पहली बाइट लगते ही बाघ रेलवे लाइन क्रास करके मीठेनगर के पास पहुुंचा, जहां उस पर दोबारा वार किया गया। कुछ देर बाद वह पूरी तरह से बेहोश हो गया।
आरके सिंह ने बताया कि मानव गंध की वजह से वह दूर भाग रहा था। सोमवार को शिकार के बाद से ही उसकी गहन निगरानी शुरू कर दिया गई थी। भोर में रहमान खेड़ा के पास मचान से उसकी निगरानी की गई और सफलता मिली।
बेंगलुरु से आए विशेषज्ञ
बाघ की हरकतों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने बेंगलुरू से विशेषज्ञ भी बुलाए थे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरों के जरिए बाघ के मूवमेंट को ट्रैक किया जा रहा था। बाघ को पकड़ने के लिए लखनऊ के डीएफओ सीतांशु पांडेय ने पूरे इलाके की कड़ी निगरानी के निर्देश दिए थे। उन्होंने सभी जोन का निरीक्षण करने के साथ-साथ ड्रोन कैमरों से बाघ की तलाश करने के आदेश दिए थे।
90 दिनों तक दहशत में रहे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। ग्रामीणों का कहना है कि तीन महीने का दिन खौफ में रहा। बच्चों और महिलाओं का घर से निकलना मुश्किल था। खेतों व बागों में जाने से सभी लोग कतराते रहे। बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया था।