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आईवीआरआई में पांच दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ

 

बरेली, 23 जुलाई। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एग्री बिजनेस परियोजना के तहत पशुधन उत्पादन और प्रबन्धन अनुभाग के सहयोग से पांच दिवसीय ”बकरी पालन“ द्वारा उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का कल शुभारम्भ हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के तीन राज्यों उत्तराखण्ड, झारखण्ड तथा उत्तर प्रदेश के कुल 17 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि पशु चिकित्सा के क्षेत्र में यह देश का अग्रणी संस्थान है। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि वर्तमान समय में बकरी पालन में अपार संभावनायें हैं क्योंकि बकरी पालन आज सभी वर्गों द्वारा किया जा रहा है तथा प्रचलित होने की वजह से इसके मांस की बहुत मांग है इसका दूध सुपाच्य होने के कारण जल्दी पच जाता है। बकरी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र के गोट बैंक मॉडल का भी उल्लेख किया जिसके तहत सीमांत किसानो को बीस प्रेग्नेंट बकरी वितरित की जाती है और बदले मे एक निश्चित अवधि मे कुछ बच्चे वापस करने होते है I इस अवसर पर उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न आईसीटी टूल्स के बारे में भी प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की।

पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग के प्रभारी डा. मुकेश सिंह ने संस्थान के पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन अनुभाग द्वारा पंजीकृत रूहेलखण्डी बकरी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने पशुधन प्रबंधन अनुभाग के विभिन्न पशु फार्म की जानकारी दी ।

एबीआई परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. बबलू कुमार ने बताया कि बकरी पालन से उद्यमिता विकास का यह दूसरा प्रशिक्षण कार्यक्रम है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बकरी पालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास, कौशल विकास तथा साक्षर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यदि हम वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करें तो यह व्यवसाय ज्यादा लाभप्रद हो सकता है। उन्होंने बताया कि एबीआई केन्द्र द्वारा अब तक करीब 35 उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसमें 778 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इसमें से कई लोग तो प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी बनाकर अपने उद्यम स्थापित कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पोषित नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार के बारे में भी प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम संयोजक तथा संस्थान के बकरी फार्म के प्रभारी डा. हरि ओम पाण्डेय ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण की रूप रेखा तथा बकरी पालन को कम निवेश में ज्यादा लाभ प्राप्त करने के बारे में बताया। बकरी पालन सीमांत, लघु कृषक तथा भूमिहीन श्रमिकों के आय वृद्धि का श्रोत है। उन्होंने बकरी के दूध की बढ़ती मांग के कारण इसमें उद्यमिता के अवसर के बारे में बताया तथा यह भी कहा कि बकरी में कठिन से कठिन भौगोलिक परिस्थितियों मेँ पलने की क्षमता होती है। बकरी को मांस, दुग्ध, रेशा, खाल एवं खाद इत्यादि के लिए पाला जाता है।

कार्यक्रम का संचालन एबीआई परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. बबलू कुमार ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन आईटीएमयू प्रभारी डा. अनुज चौहान द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रतिभागियों सहित एबीआई केन्द्र के कर्मचारी गण उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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