यूपी में बाढ़ का कहर, इस जिले में 24 घंटे में गंगा में विलीन हो गए 18 मकान
लखनऊ: यूपी के बलिया के बैरिया तहसील के चक्की नौरंगा में गंगा का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस गांव के करीब 18 मकान 24 घंटे के अंदर नदी में विलीन हो गए। कटान तेज होने से लोगों में दहशत है और वे गंगा मईया से रक्षा की गुहार लगा रहे हैं। गंगा नदी पार बसे नौरंगा गांव में कुछ साल पहले कटान शुरू हुआ। खेतों और रास्तों को निगलती हुई नदी इस साल आबादी तक पहुंच गयी। सावन की शुरुआत होने के बाद कटान तेजी से होने लगी। इसका नतीजा यह हुआ कि हर दिन लोगों के घर नदी में समाहित होने लगे। एक माह में लगभग 56 कच्चे-पक्के मकान नदी में बह चुके हैं।
कुछ दिनों पहले नदी में उफान आया तो कटान की रफ्तार भी तेज हो गई। हालांकि जलस्तर कम होने पर कुछ दिनों तक यह सिलसिला चलने के बाद थम गया। इसी बीच नदी का पानी बढ़ते ही कटान ने भी रफ्तार पकड़ लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि शुक्रवार की शाम से शनिवार की शाम तक करीब 18 मकान नदी में विलीन हो गए। लोगों का कहना है कि गांव के एक साथ इतनी बड़ी संख्या में मकानों के नदी में समाहित होने का यह पहला मामला है। इसके बाद से कटान की जद में आ रहे मकानों में रहने वाले लोगों में खलबली मची हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि कटान से बचाने के लिए बाढ़ विभाग की ओर से काई इंतजाम नहीं किया गया है। अगर हालात ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में चक्की-नौरंगा इतिहास बनकर रह जायेगा।
नाते-रिश्तेदार के यहां शरण ले रहे कटान पीड़ित
बैरिया तहसील के चक्की-नौरंगा गांव के एक तिहाई आबादी पर गंगा कहर बनकर टूट रही है। इस गांव के कटानपीड़ित परिवार संग खनाबदोश की जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि घर-गृहस्थी तबाह होने के बाद महिलाओं और बच्चों के साथ कुछ पीड़ित गांव में ही गुजर-बसर कर रहे हैं, जबकि कुछ नाते-रिश्तेदारियों में शरण लिए हुए हैं। घर के नदी में समाहित होने के बाद उनके सामने रोटी-रोजी का भी संकट उत्पन्न हो गया है। गांव के लेखपाल रवि रंजन के अनुसार चौबिस घंटे में जिन लोगों के मकान नदी में गिरे हैं उनमें प्रेम, टेंगरी, राजमोहन, हरेराम, जगत, शिवकुमार, पवन, श्रीराम, अमर, सीता, गिरिजा देवी, त्रिलोकी, शिवशंकर, लखपतिया, कन्हैया, बृजकिशोर, धनजोतिया देवी, उषा देवी आदि शामिल है।
जिला प्रशासन ने पहुंचाया राहत सामग्री
बैरिया तहसील के नदी पार नौरंगा के ग्रामीणों के लिए शनिवार को एक हजार पैकेट राहत सामग्री पहुंचाया गया। रविवार को राहत सामग्री की एक और खेप पहुंचने की उम्मीद है। ग्रामीणों का कहना है कि तहसील प्रशासन की ओर से 32 सौ लोगों की सूची तैयार की गयी है। इसी आधार पर उनके बीच राहत सामग्री का वितरण होगा। बलिया से होकर बहने वाली तीन प्रमुख नदियों में से दो गंगा और टोंस का पानी शनिवार को स्थिर हो गया। सरयू में धीमी गति से घटाव होने से लोगों को बाढ़ से राहत मिलने की उम्मीद है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गायघाट में शनिवार की शाम चार बजे गंगा का जलस्तर 59.600 मीटर पर पहुंचकर स्थिर हो गया।

नदी के पानी में घटाव होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। हालांकि नदी यहां पर खतरा बिंदु 57.615 मीटर से करीब दो मीटर उपर तथा उच्चतम बिंदु 60.390 मीटर से 78 सेमी नीचे बह रही है। डीएसपी हेड पर सरयू का जलस्तर 63.540 मीटर दर्ज किया गया।
नदी के पानी में आठ घंटे में केवल एक सेमी का घटाव दर्ज किया गया है। नदी यहां पर खतरा बिंदु 64.010 मीटर से 47 सेमी नीचे बह रही है। टोंस का जलस्तर पिपरा घाट गेज पर 61.000 मीटर दर्ज हुआ। नदी में यहां पर शुक्रवार सुबह से स्थिरिता बनी हुई है।
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बाढ़ पीड़ितों में किया राहत सामग्री का वितरण
रामगढ़। पूर्व सांसद भरत सिंह की पुत्री और भाजपा नेत्री विजयालक्ष्मी सिंह ने शनिवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने दुबेछपरा और गोपालपुर के बाढ़ पीड़ितों में राहत सामग्री का वितरण किया। उनकी ओर से बाढ़ पीड़ितों में राशन, पीने का पानी, चावल, दाल, आलू मसाला, गुड़, बिस्किट आदि बंटवाया गया।
नौरंगा पहुंचे राज्य सभा सांसद ने जाना हाल
रामगढ़। राज्य सभा सांसद नीरज शेखर शनिवार को नौरंगा पहुंचे। उन्होंने कटान और बाढ़ पीड़ितों से बातचीत कर जानकारी ली तथा हर सम्भव मदद का भरोसा दिया। एनडीआरएफ की नाव से नौरंगा पहुंचे सांसद ने दयाछपरा के पास जमीन अधिग्रहण कर कटान पीड़ितों का पुनर्वास कराने का निर्देश एसडीएम बैरिया को दिया। कहा कि कटान और बाढ़ पीड़ितों के साथ सरकार खड़ी है। उन्होंने अधिकारियों को नावों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया। इस मौके पर एसडीएम आलोक प्रताप सिंह, नायब तहसीलदार रौशन कुमार आदि थे।
