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महात्मा ज्योतिबा फूले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में “क्रिएटिंग रिसर्च इकोसिस्टम इन स्टेट यूनिवर्सिटीज” कार्यशाला का भव्य आयोजन

बरेली,05 अगस्त। महात्मा ज्योतिबा फूले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली के एमबीए विभाग स्थित ऑडिटोरियम में कल “क्रिएटिंग रिसर्च इकोसिस्टम इन स्टेट यूनिवर्सिटीज” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश की माननीय राज्यपाल महामहिम श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। कार्यशाला में विश्वविद्यालय एवं इससे संबद्ध महाविद्यालयों के 300 से अधिक शोधार्थियों, शिक्षकों एवं प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत रूप से मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। मुख्य अतिथियों का स्वागत विश्वविद्यालय के शोध निदेशक प्रोफेसर आलोक श्रीवास्तव एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. इरम नईम द्वारा किया गया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने अपने संबोधन में कहा, “हमारा विश्वविद्यालय शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में निरंतर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। हाल ही में, हमने INFLIBNET के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे हमारे शोधार्थियों को 10,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं तक निःशुल्क पहुंच प्राप्त होगी। विगत तीन वर्षों में हमने 250 से अधिक पेटेंट दाखिल किए हैं, जिनमें से 78 को स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। यह हमारे संकाय सदस्यों और छात्रों के अथक प्रयासों का परिणाम है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमने आईआईटी कानपुर, सीएसआईआर प्रयोगशालाओं और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ 15 से अधिक एमओयू किए हैं, जो हमारे शोध छात्रों को विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करेंगे। हमारा लक्ष्य है कि रोहिलखंड विश्वविद्यालय को न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख शोध केंद्र के रूप में स्थापित किया जाए।”

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एरीज) के निदेशक प्रोफेसर मनीष नाजा ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “एरीज की वेधशालाएं अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। हमने हाल ही में एक नई दूरबीन स्थापित की है, जो ग्रहों की गतिविधियों का अध्ययन करने में सक्षम है। हम रोहिलखंड विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त शोध परियोजनाएं शुरू करने के लिए उत्सुक हैं।”

फॉर वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, नेपाल के कुलपति प्रोफेसर हेमराज पंत ने कहा, “भारत और नेपाल के बीच शैक्षणिक सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकता है। हम रोहिलखंड विश्वविद्यालय के साथ छात्र विनिमय कार्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।”

आईआईटी कानपुर के अध्यक्ष प्रोफेसर विनोद कुमार सिंह ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “आज का युग इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च का है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी नवाचार आवश्यक है।”

कार्यशाला के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे शोध संसाधनों पर विस्तृत चर्चा हुई:

स्कोपस और एल्सेवियर जर्नल्स की सदस्यता

50,000 से अधिक ई-बुक्स और शोध पत्रों तक पहुंच

24×7 डिजिटल लाइब्रेरी सुविधा

पेटेंट फाइलिंग के लिए विशेष मार्गदर्शन सेल

कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बृजेश कुमार ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, “यह कार्यशाला शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई है। हम भविष्य में ऐसे और आयोजन करते रहेंगे।”

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट