रेवंत सरकार के बड़े चुनावी वादे पर हाईकोर्ट का ‘ब्रेक’, 42% पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर लगाई अंतरिम रोक
Telangana Revanth Reddy Government: तेलंगाना में कांग्रेस के एक बड़े चुनावी वादे को करारा झटका लगा है। तेलंगाना हाई कोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों (बीसी) को 42 प्रतिशत आरक्षण देने के रेवंत रेड्डी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद राज्य में आगामी पंचायत और जिला परिषद के चुनाव टल सकते हैं, क्योंकि चुनाव की अधिसूचना इसी बढ़े हुए आरक्षण के आधार पर जारी की गई थी। अदालत के इस आदेश के बाद पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
दरअसल, तेलंगाना में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने का वादा किया था। इसी वादे को पूरा करते हुए रेवंत रेड्डी सरकार ने पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया था। सरकार के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायमूर्ति जीएम मोहिउद्दीन की खंडपीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।

क्यों लगी आरक्षण पर रोक?
अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता के. विवेक रेड्डी ने दलील दी कि सरकार का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी परिस्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने का नियम तय किया है। जबकि सरकार के इस फैसले से राज्य में कुल आरक्षण 67 प्रतिशत हो गया था, जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी शामिल है। इसके अलावा, यह आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ‘ट्रिपल-टेस्ट’ फॉर्मूले का भी उल्लंघन करता है।
सड़कों पर उतरा पिछड़ा वर्ग, अब आगे क्या?
हाई कोर्ट के इस फैसले के आते ही पिछड़ा वर्ग समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनके अधिकारों का हनन हुआ तो पूरे राज्य में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। इस बीच, अदालत ने तेलंगाना सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। सरकार को इस अवधि में एक जवाबी हलफनामा दायर करना होगा। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय मिलेगा। मामले की अगली सुनवाई अब छह हफ्ते बाद होगी।
