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भारत-चीन संबंधों में जमी बर्फ पिघली, सीधी उड़ानें और सीमा व्यापार फिर शुरू करने पर ऐतिहासिक सहमति

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महीने के अंत में होने वाली महत्वपूर्ण चीन यात्रा से पहले, दोनों देशों के रिश्तों में एक बड़ी प्रगति देखने को मिली है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी के दो दिवसीय भारत दौरे के दौरान हुई द्विपक्षीय वार्ताओं में कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी, जिसका उद्देश्य 2020 में गलवान घाटी में हुए सैन्य टकराव के बाद से चले आ रहे तनाव को कम करना है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक में सबसे बड़ा फैसला COVID-19 महामारी के बाद से निलंबित सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने का रहा। हालांकि, इसकी कोई निश्चित तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। इसके अलावा, दोनों देशों ने तीन महत्वपूर्ण व्यापारिक बिंदुओं – लिपुलेख दर्रा, शिपकी ला दर्रा और नाथू ला दर्रा – के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से खोलने पर भी सहमति व्यक्त की। साथ ही, पर्यटकों, व्यापारियों और अन्य आगंतुकों के लिए वीजा प्रक्रिया को सुगम बनाने पर भी रजामंदी हुई है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने हिमालयी सीमा पर तैनात सैनिकों को पीछे हटाने और सीमांकन जैसे जटिल मुद्दों पर भी विस्तृत चर्चा की। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर बताया कि सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए एक नया ‘वर्किंग ग्रुप’ गठित करने पर सहमति बनी है, जो सीमांकन वार्ता को आगे बढ़ाएगा। यह तंत्र सीमा के पूर्वी और मध्य भागों को भी कवर करेगा।

बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तिब्बत में यारलुंग ज़ंगबो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर चीन द्वारा बनाए जा रहे विशाल बांधों का मुद्दा भी उठाया। भारत ने चिंता व्यक्त की कि इन बांधों का निचली धारा वाले राज्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस पर चीन ने मानवीय आधार पर संबंधित नदियों पर आपातकालीन जल-विज्ञान संबंधी जानकारी भारत के साथ साझा करने पर सहमति जताई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वांग यी से मुलाकात के बाद ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भारत और चीन के बीच स्थिर और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति व समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।” यह गौरतलब है कि पीएम मोदी सात वर्षों में पहली बार शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा करेंगे।

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