Wednesday, November 12, 2025
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आईसीपीएचडी-2025 (दिवस-2): पेट्रोलियम, डीकार्बोनाइजेशन, स्वच्छ ऊर्जा और भविष्य के ईंधनों पर वैश्विक मंथन

जायस (अमेठी): पेट्रोलियम इंजीनियरिंग और भू-अभियांत्रिकी विभाग, राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान (आरजीआईपीटी), जायस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आईसीपीएचडी-2025 पेट्रोलियम, हाइड्रोजन एंड डीकार्बोनाइजेशन के दूसरे दिन विश्वभर के विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों, और शिक्षाविदों ने ऊर्जा परिवर्तन, कार्बन प्रबंधन और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विविध पहलुओं पर गहन विमर्श किया।

दिवस-2 की शुरुआत प्लेनरी सत्र से हुई, जिसमें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन से जुड़ी तकनीकी चुनौतियों और अवसरों पर विचार प्रस्तुत किए। डॉ. जेम्स शेंग, टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी अमेरिका ने अपने व्याख्यान स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में चुनौतियाँ में हाइड्रोजन, जियोथर्मल और कार्बन कैप्चर तकनीकों की सीमाओं पर प्रयोगात्मक आंकड़ों और क्षेत्रीय परिणामों के साथ विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया।

प्रो. स्टीफन इग्लॉवर, एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया ने गोल्ड हाइड्रोजन और ऑरेंज हाइड्रोजन जैसे नये अवधारणाओं पर चर्चा की, जो प्राकृतिक एवं औद्योगिक अपशिष्ट स्रोतों से प्राप्त हाइड्रोजन ऊर्जा के सतत उत्पादन के लिए संभावनाएँ प्रदान करते हैं। उन्होंने कार्बन डायऑक्साइड के खनिजीकरण की प्रक्रिया को भी जलवायु परिवर्तन शमन के एक प्रभावी उपाय के रूप में रेखांकित किया।

प्रो. विक्रम विशाल, आईआईटी मुंबई ने अपने व्याख्यान में भारत के नेट-ज़ीरो 2070 लक्ष्य की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बड़े पैमाने पर कार्बन अवशोषण एवं भंडारण के उपयोग, एआई-एमएल आधारित जोखिम विश्लेषण, और कार्बन को उपयोगी औद्योगिक उत्पादों में परिवर्तित करने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इन पहलों की सफलता नवाचार-उन्मुख स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर करेगी।

श्री रवि प्रकाश, कार्यकारी निदेशक एचएएल कोरवा ने एयरोस्पेस उद्योग में उच्च उत्सर्जन की समस्या पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उद्योग को 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग के लक्ष्य के साथ अधिक ऊर्जा-कुशल और हल्के विमान निर्माण की दिशा में कार्य करना होगा। उन्होंने छात्रों को हाइड्रोजन ईंधन और एटीएफ एडिटिव्स पर अनुसंधान को प्रोत्साहित किया।

डॉ. खैरुल अज़लान बिन मुस्तफ़ा, यूनिवर्सिटी ऑफ मलाया मलेशिया ने कार्बन अवशोषण एवं अनुप्रयोग के क्षेत्र में अपने अध्ययन प्रस्तुत करते हुए बताया कि मलेशिया में पाए जाने वाले बेसाल्ट जैसे खनिज कार्बन डाई आक्साइड के साथ अभिक्रिया कर स्थायी कार्बोनेट बनाते हैं, जिन्हें निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने इस तकनीक को औद्योगिक अपशिष्ट को उपयोगी संसाधन में परिवर्तित करने का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।

इसके पश्चात आयोजित कीनोट व्याख्यान सत्रों में देश के प्रतिष्ठित शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों ने ऊर्जा, पर्यावरण और पेट्रोलियम तकनीक से संबंधित नये शोध प्रस्तुत किए। आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के प्रो. विकास माहतो ने नैनोटेक्नोलॉजी के उपयोग द्वारा वाटर एवं गैस शट-ऑफ जॉब्स पर, ओएनजीसी से डॉ. ए.के. मिश्रा ने उच्च पारगम्यता वाले क्षेत्रों में सीमेंटेशन द्वारा बेहतर जोनल आइसोलेशन पर, तथा आईआईटी खड़गपुर के प्रो. अरिंदम बसु ने रॉक इंडेक्स परीक्षणों की चुनौतियों पर अपने व्याख्यान दिए।
डॉ. नवीन वेलमुरुगन, संस्थापक एवं सीईओ वर्जिल डायनामिक्स पेरिस ने फ्रॉम सॉफ्ट रॉक्स टू हार्ड रियलिटीज़ विषय पर नवीन ड्रिलिंग तकनीकों की संभावनाओं को प्रस्तुत किया।
डॉ. हिमांशु काकाटी, आईआईपीई विशाखापट्टनम ने मीथेन रिकवरी फ्रॉम हाइड्रेट रिज़र्वोयर्स, आईआईटी कानपुर के डॉ. हिमांशु शर्मा ने कम लागत वाले खनिज कार्बन डाई आक्साइड एडसॉर्बेंट्स, आईआईटी गुवाहाटी के प्रो. नंदा किशोर ने डीकार्बोनाइजेशन तकनीक और बायोमास अपवर्धन तथा पीडीईयू गांधीनगर के डॉ. अचिंता बेरा ने एन्हांस्ड ऑयल रिकवरी के लिए नैनोपार्टिकल्स और क्वांटम डॉट्स की तुलनात्मक समीक्षा प्रस्तुत की। डॉ. रजत जैन आईआईपीई विशाखापट्टनम ने वेल परफॉर्मेंस में फॉर्मेशन डैमेज की चुनौतियों पर अपने विचार रखे।

दिवस के दौरान विभिन्न संस्थानों के शोधार्थियों और छात्रों ने फ्लो एश्योरेंस, ड्रिलिंग एंड कम्प्लीशन टेक्नोलॉजी, जियोफिजिक्स, डिजिटलाइजेशन ऑफ ऑयल एंड गैस ऑपरेशन्स, अनकनवेंशनल एनर्जी रिसोर्सेज, डीकार्बोनाइजेशन, हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी, एनहैंस्ड ऑयल रिकवरी तथा हेल्थ-सेफ्टी-एनवायरनमेंट जैसे विषयों पर अपने शोध पत्र और पोस्टर प्रस्तुत किए।

दिन का समापन साइंस फॉर सस्टेनेबिलिटी एंड एनर्जी सिक्योरिटी की मूल भावना को दोहराते हुए हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने यह संदेश दिया कि उद्योग, अकादमिक जगत और नीति-निर्माताओं के बीच सहयोग ही ऊर्जा आत्मनिर्भरता और कार्बन न्यूट्रैलिटी की दिशा में ठोस परिवर्तन ला सकता है।

इस सम्मलेन के आयोजक मण्डल में प्रो सतीश सिन्हा, प्रो आलोक कुमार सिंह, डॉ तुषार शर्मा, डॉ शैलेश कुमार, डॉ सिद्धार्थ, डॉ सिद्धांत, डॉ हेमंत, डॉ पीयूष, डॉ अमित आदि शामिल हैं |

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