नैरेटिव की जंग जीतने के लिए भारत से सीख सकता है इजराइल, जानें क्या है पावर
नई दिल्ली : इजराइल संघर्ष के समय में नैरेटिव की जंग जीतने के लिए सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल भारत से सीख सकता है. जब इजराइल ने हमास को खत्म करने के लिए अपने सैन्य अभियान को आगे बढ़ाया, तो गाजा में फिलिस्तीनियों के लिए सपोर्ट की लहर उमड़ पड़ी. इस क्षेत्र में एकमात्र यहूदी देश होने के नाते इजराइल भू-राजनीतिक संरचना में काफी पिछड़ गया है. ये भारत में इजराइल के राजदूत रूवेन अजार का कहना है.
एक अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि हम एकमात्र यहूदी राष्ट्र हैं. आपके (भारत) पास बहुत शक्तिशाली मीडिया आउटलेट हैं जो अल जजीरा, टीआरटी और कई अन्य आउटलेट जैसे अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं. स्पष्ट रूप से, हम पर्याप्त निवेश नहीं कर रहे हैं क्योंकि हमारा अधिकांश निवेश हार्ड पावर में चला गया है, सॉफ्ट पावर में नहीं. भारत जिस तरह से इन समूहों को चुनौती दे रहे हैं, उसमें वह हार्ड और सॉफ्ट पावर को मिला रहा है.
दरअसल, अभी हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जब भी भारत को सुरक्षा संबंधी खतरों का सामना करना पड़ा, इजराइल ने उसका साथ दिया और वह भारत का महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार रहा है. प्रश्नकाल के दौरान राज्यसभा को संबोधित करते हुए जयशंकर ने पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष में भारत के रुख के बारे में विस्तार से बताते हुए नई दिल्ली और तेल अवीव के सुरक्षा सहयोग के मजबूत रिकॉर्ड पर प्रकाश डाला.
विदेश मंत्री ने युद्ध पर भारत की स्थिति दोहराते हुए कहा कि वह फिलिस्तीन मुद्दे के लिए टू-स्टेट समाधान का समर्थन करता है. फिलिस्तीन के प्रति भारत की नीति लंबे समय से चली आ रही है और हमने हमेशा बातचीत के जरिए टू-स्टेट समाधान का समर्थन किया है. उन्होंने गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने में भारत के योगदान का भी उल्लेख किया जब वे युद्ध से तबाह हो गए थे.