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अंतरिक्ष की ओर ISRO की बड़ी छलांग, गगनयान के ‘इंजन’ का सफल परीक्षण

नई दिल्‍ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है। ISRO ने शनिवार को कहा कि उसने ‘योग्यता परीक्षण कार्यक्रम’(क्वालिफिकेशन टेस्ट प्रोग्राम) पूरा करने के साथ ही गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के लिए ‘सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम’ (SMPS) को सफलतापूर्वक विकसित कर लिया है। इस सिस्टम को गगनयान का इंजन कहा जा सकता है। एसएमपीएस के एकीकृत प्रदर्शन को मान्य करने के लिए 350 सेकंड के लिए एसएमपीएस का पूर्ण अवधि का ‘हॉट परीक्षण’ आयोजित किया गया। वास्तविक परिस्थिति में किया जाने वाला यह परीक्षण शुक्रवार को सर्विस मॉड्यूल आधारित ‘फ्लाइट ऑफ-नॉमिनल मिशन प्रोफाइल’ के लिए किया गया।

‘फ्लाइट ऑफ-नॉमिनल मिशन प्रोफाइल’ का संबंध किसी विमान के उड़ान पथ और उसकी अन्य गतिविधियों से है। गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन है। इसके साथ ही अंतरिक्ष में मानव भेजने को लेकर भारत ने एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है। बताते चलें कि शुभांशु शुक्ला इस समय अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में ही हैं। प्रोपल्शन सिस्टम गगनयान के इंजन की तरह काम करेगा। स्पेस में जाने के बाद यही गगनयान को नियंत्रित करने और आगे बढ़ाने का काम करेगा। यह कक्षा को बदलने, दिशा बदलने और गगनयान को धीमा-तेज करने के काम आएगा। इसके अलावा धरती पर लौटने में भी इसका अहम योगदान होगा। इसमें दो तरह के ईंधन का उपयोग किया जाएगा। बड़े संचालन के लिए लिक्विड अपोजी मोटर्स का इस्तेमला होगा। वहीं थ्रस्टर के लिए रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा।

इसरो ने इस मॉडल को अलग-अलग माहौल में कम से कम 25 बार टेस्ट किया। वहीं इंजन को 14 हजार सेकंड्स तक चलाकर देखा गया कि यह अंतरिक्षयात्रियों के लिए तैयार है या नहीं। इस सफलता का मतलब है कि अब इसरो इंसानों के लिए सुरक्षित स्पेसक्राफ्ट बनाने में सक्षम है। अब इसरो की टीम इस काम में और मेहनत करेगी और अंतरिक्ष मिशन की तैयारी में जुट जाएगी। गगनयान के उड़ान भरते ही भारत स्पेस टेक्नॉलजी वाला चौथा देश बन जाएगा। अमेरिका, रूस और चीन पहले से ही अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस में भेज रहे हैं।