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अयोध्या के लकी ने भरी लखनऊ में ख्वाबों की उड़ान

हर इंसान की अपनी मुश्किलें होती हैं, कभी आर्थिक अर्चने तो कभी पारिवारिक जिम्मेदारियां, तो कभी कुछ और। इन्ही सब परिस्थिति को बेहतर करने के लिए खुद के पास होता है तो लड़ने का हौसला, दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत और ऊंची उड़ान भरने को तैयार पंख। अयोध्या के ‘लकी सिंगर’ की जिंदगी में भी बहुत से ऐसे संघर्ष रहे हैं और यही वजह रही कि इन्होंने पढ़ाई के साथ साथ कभी किसी एक्स्पर्ट से म्यूजिक नहीं सीखा। लकी को गाने का शौक तो बचपन से ही था, ऐसे में उन्होने गानों को सुनकर रियाज़ करना शुरू किया। लोगों को लकी के गाने पसंद भी आते थे तो शुरुआत में उन्होने अपने शहर अयोध्या में कभी कहीं मौका मिलने पर गाना शुरू किया। अयोध्या टैलेंट हंट में भी रनर-अप रहे लकी को जब यह एहसास हुआ की उनकी आवाज़ लोगों को पसंद आ रही है तो उनका मोटिवेशन बढ़ा और ऊंची उड़ान भरने की ख़्वाहिश लिए निकल पड़े राजधानी लखनऊ की तरफ।

सपनों का पिटारा लिए भर रहे उम्मीदों की उड़ान

अपने सपनो को पंख देने के लिए सभी को कुछ न कुछ तो पीछे छोड़ना ही पड़ता है उसी तरह लकी भी अपने परिवार, अपने शहर को छोड़ निकल पड़े नवाबों के शहर लखनऊ। लकी लखनऊ तो आ गए यहां उन्होंने देखा कि हजारों की भीड़ में अब उन्हें अपनी एक पहचान बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। और आर्थिक मजबूती न होने के कारण साथ में कुछ काम भी करना पड़ेगा ताकि जीवन यापन भी चल सके। तभी उनके सफर में सबसे एहम मोड़ तब आया जब उन्हें पता चला कि गुमनाम चेहरों को शोहरत दिलाने वाले प्लेटफॉर्म ‘सारेगामापा’ का ऑडिशन चल रहा है। लकी को भी लगा शायद यही से उन्हें अपने तमाम सपने साकार करने की शुरुवात मिलेगी और करने लगे ऑडिशन की तैयारी।

जैसे जैसे ऑडिशन के दिन नजदीक आ रहे थे लकी ने अपनी तैयारी को और बढ़ा दिया साथ ही दिनरात रियाज़ करने लगे। कभी अपनी ही आवाज को रिकॉर्ड कर सुनते और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करते तो कभी दिग्गजों की आवाज से सीखने का प्रयास करते। लकी ने ‘सारेगमापा’ शो के लिए ऑडिशन तो दिया पर उनका सलेक्शन नहीं हुआ, उस वक्त लकी पूरी तरह टूट से गए लेकिन किसी ने सच ही कहा है, ‘मुश्किलों से हँसकर मिलना क्या पता कौन सी मुश्किल आपका मुकद्दर बदल दे’। लकी ने उन चीजों पे काम करना शुरू किया जिसमे वो कमजोर थे पर टेक्निकल गाइडेंस के लिए जरूरत थी किसी ट्रेनर या गाइड की।

लेकिन कहते हैं न कि, अगर किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग जाती है। लकी की जिंदगी में अंधेरे में सूरज का किरण की तरह आए कृष्ण कुमार मौर्य। जब उन्होने लकी की आवाज सुनी तभी से उन्होने सोच लिया था कि इसमें प्लेबैक सिंगर बनने की काबलियत तो है बस इसे सही मार्गदर्शन की जरूरत है। कृष्णा सर ने लकी को एक विशेष प्रशिक्षण की पेशकश की, वो चाहते थे कि लकी आगे आए, पेशेवर रूप से प्रशिक्षण ले और अपने जीवन में एक नई पहचान बनाए।

रिजेक्शन से मोटिवेशन तक का सफर

कहा जाता है कि अगर आप सही दिशा में सही तरीके से आगे बढ्ने की कोशिश करें तो आगे के रास्ते खुद ब खुद बनते चले जाते हैं और कुछ ऐसा ही हुआ लकी के साथ। लकी की मेहनत और लगन को देखते हुए टी-सीरीज़ स्टेजवर्क्स अकादमी लखनऊ के प्रबंधन ने उनकी फीस में कटौती करने का फैसला किया जिससे वो विशेष प्रशिक्षण ले सके और अपने सपने को पूरा कर सकें।

अब लकी लखनऊ में रहकर टी-सीरीज़ स्टेजवर्क्स अकादमी से संगीत सीखने के साथ अलग अलग कैफे और रेस्तरां में गाना गाकर अपना खर्चा भी निकालते हैं। अपने खर्चे में कटौती कर लकी अपनी फीस के लिए भी पैसे जोड़ते हैं। वैसे भी जब आप अपनी पसंद का काम करते हैं तो आपको मज़ा आता है और मेहनत भी सफल होती है। यही वजह है कि लकी कहीं जॉब करने कि बजाय अपनी आवाज और अपनी कला से कमाए हुए पैसो से अपनी फीस भी भरते हैं।

मोहम्मद रफी और अरिजित सिंह को अपना इन्स्पिरेशन मानने वाले लकी का कहना है कि आर्थिक स्थिति को कभी भी अपने सपनों के आड़े न आने दें, कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए क्योंकि सफलता एक दिन में कभी नहीं मिलती। लकी कहते हैं कि जब भी वो कभी उदास होते हैं तो गाने उनके लिए बूस्टर का काम करते हैं कभी वो खुद गुनगुनाते हैं तो कभी एकांत में बैठकर अपने पसंदीदा गानों को सुनते हैं।

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