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परिवार का मर्डर करो या अपनी जान दो-आत्माओं से परेशान बच्चे ने सुसाइड कर लिया!

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।जब विज्ञान शिखर पर की अग्रसर है तब भी भ्रांति की चपेट में लोग आकर जान दे दें तो इसको क्या कहेंगे। कानपुर में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। जब परिवार के लोग छठ मना रहे थे, इकलौते बेटे ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। छात्र के पास से बरामद सुसाइड नोट में आत्माओं की तरफ से परिवार वालों की हत्या या आत्महत्या करने की धमकी देने की बात लिखी है। मौके पर पहुंची पुलिस ने बरामद सुसाइड नोट को कब्जे में ले लिया है और जांच पड़ताल में जुटी है। सुसाइड नोट में लिखा है कि छात्र को कुछ लोगों की छवि दिखाई देती थी। जो उसे परिवार वालों की हत्या करने के लिए उकसाती थी। वह छात्र से कहती थी कि या तो परिवार वालों को मार दो या खुद मर जाओ। घटना की जानकारी के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है।प्राप्त जानकारी के अनुसार पुराना कानपुर के कोहना में आलोक मिश्रा पत्नी दिव्या, बेटी मान्या और इकलौते बेटे 16 वर्षीय आरव के साथ रहते हैं। परिजनों के अनुसार आरव ने दीपावली से पहले अपनी बहन को बताया कि उसे कुछ लोगों की छवि दिखाई देती है। जो उसे कहते हैं की पूरे परिवार को मार डालो या खुद मर जाओ। हालांकि परिवार ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया।

इसके बाद छात्र के माता-पिता छठ पूजा के लिए भागलपुर चले गए। सोमवार को उनकी बेटी कॉलेज गई थी। इसी दौरान आरव घर पर अपनी दादी के साथ था। देर शाम को दादी उसे बुलाने गई तो दरवाजा अंदर से बंद था। आवाज देने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला। अनहोनी की आशंका पर उन्होंने पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा तो अंदर का नजारा देखकर चीख पड़ी। कमरे में पंखे के सहारे आरव का शव लटकता हुआ मिला। तत्काल उन्होंने घटना की जानकारी परिजनों और पुलिस को दी। इकलौते बेटे की छठ के दिन मौत की सूचना से परिवार में कोहराम मच गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने फोरेंसिक टीम बुलाकर जांच पड़ताल की। इस दौरान पुलिस को छात्र के पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। इसमें भी वही बात लिखी थी जो उसने बहन को बताई थी। इसमें भी उसने जिक्र किया है कि कुछ लोगों की उसे छवि दिखाई देती हैं। छवि उससे कहती है कि अपने परिवार को मार डालो या खुद मर जाओ। कोहना थाना प्रभारी विनय तिवारी ने बताया कि छात्र ने आत्महत्या की है। उसके पास से बरामद सुसाइड नोट में आत्माओं द्वारा परेशान करने का जिक्र है। फिलहाल मामले की जांच पड़ताल की जा रही है। मरने वाला छात्र जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का नाती (भांजे का बेटा) लगता था। आरव के पिता आलोक मिश्रा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सगे भांजे हैं।

इस संदर्भ में बलरामपुर चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक व वरिष्ठ मनो रोग विशेषज्ञ डॉ देवाशीष शुक्ल का कहना है कि जब बच्चे ने परिवार में चर्चा किया तो उसे समय पर मनो चिकित्सक डॉक्टर के पास लेकर जाना था। बच्चा कल्पनाओं में डूबता चला गया। उसे यह बताने की जरूरत थी कि आत्मा जैसी कोई चीज नहीं आती-जाती। उसी दिशा में सोचते-सोचते बच्चा अवसाद में चला गया। परिवार को उसकी समस्या पर ध्यान देना था। उसकी हरकतों पर सबको दृष्टि रखना था। तब पता चलता, सोने पर वह बार-बार चौंक तो नहीं जाता, जगने पर भयभीत तो नहीं रहता था। उसके संपर्क में रह कर उससे बात-चीत कर उसके काल्पनिक डर को निकालना सबको मिल कर करना था।साथ ही उपयुक्त चिकत्सक की दवाओं को नियमित खिलाने से धीरे-धीरे वह सामान्य स्थिति में लौटता। इस तरह की बीमारी में कई चरण में इलाज होता है। थोड़ा लंबे समय तक दवायें चलती हैं। समस्याओं को लेकर भगने नहीं जगने की जरूरत है।

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