“मेरा किरदार कम बोलता है, लेकिन हर सीन चुरा लेता है
मुंबई, जून 2025: सोनी सब का ऐतिहासिक धारावाहिक तेनाली रामा (जिसमें कृष्णा भारद्वाज तेनाली की भूमिका निभा रहे हैं) अपनी बुद्धिमत्ता और व्यंग्यात्मक अंदाज के कारण सभी पीढ़ियों में लोकप्रिय बन चुका है। इस मनोरंजक और भावनात्मक शो के केंद्र में है विजयनगर साम्राज्य के कोतवाल की भूमिका, जिसे निखिल आर्य ने गंभीरता और सादगी से निभाया है। अपने शांत लेकिन प्रभावशाली अभिनय के जरिए वे हर दृश्य में गहराई ला देते हैं। इस विशेष बातचीत में निखिल ने अपने किरदार, अभिनय की बारीकियों और सेट पर सह-कलाकारों के साथ अपने रिश्ते पर चर्चा की।
1. तेनाली रामा इतिहास और जीवन मूल्यों को मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत करता है। इस शो की किस बात ने आपको सबसे ज़्यादा आकर्षित किया?
इस शो का फॉर्मेट ही मेरे लिए सबसे बड़ा आकर्षण था। यह पारंपरिक ऐतिहासिक धारावाहिकों से अलग है। यहाँ न तो देवताओं की लीला है, न युद्धों का शोर। गंभीर रहस्यों को हास्य और व्यंग्य के माध्यम से हल किया जाता है, और हर कहानी एक सामाजिक संदेश के साथ समाप्त होती है। उस संतुलन को बनाए रखना एक चुनौती भी थी और बहुत आनंददायक भी।
2. आपका किरदार काफी विकसित हुआ है। किन क्षणों को सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण या संतोषजनक मानते हैं? आप व्यक्तिगत रूप से इस किरदार से कैसे जुड़ते हैं?
मैं इस बात से खुश हूँ कि मेरे किरदार ने एक लंबा सफर तय किया है। मैं साम्राज्य का कोतवाल हूँ, यानि एक गंभीर तथा कम बोलने वाला व्यक्ति। लेकिन उसकी चुप्पी और परिस्थितियों में सीधा चेहरा बनाए रखना ही उसकी विशेषता बन गई है। शांत सीनों को गहरे भावनात्मक गहराई तक ले जा पाना क्रिएटिव लहजे में संतोषजनक रहा है। इस किरदार का अनुशासन और मूल्य मेरे अपने व्यक्तित्व से मेल खाते हैं।
3. बिना संवाद के भी आपका किरदार दर्शकों का ध्यान आकर्षित करता है। जब प्रदर्शन शब्दों के स्थान पर शारीरिक हावभाव और उपस्थिति पर निर्भर हो, तो आप कैसे तैयारी करते हैं?
यही इस किरदार की सबसे चुनौतीपूर्ण और मजेदार बात है। आपको चेहरे में अधिक हेरफेर या ऊँची आवाज़ की जरूरत नहीं होती, सिर्फ टाइमिंग, स्थिरता और अभिव्यक्ति का संयोजन काफी होता है। जब यह सही बैठता है, तो कमाल होता है।
4. वफादारी, बुद्धिमानी और न्याय जैसे गुण आपके किरदार की आत्मा हैं। इन्हें ज़मीन से जुड़ा और विश्वसनीय बनाए रखने के लिए आपने क्या तैयारी की?
ये सभी गुण मेरे निजी जीवन से भी मेल खाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि किरदार एक पुराने युग से है, इसलिए शरीर की भाषा और संवाद की शैली पर मैंने विशेष ध्यान दिया, ताकि वह समयसिद्ध लगे और साथ ही आज के दर्शकों को जोड़े।
5. आपने कुणाल, आदित्य और कृष्णा के साथ काम किया है। पर्दे के पीछे की दोस्ती का असर ऑन-स्क्रीन प्रदर्शन पर कैसे पड़ता है? कोई मज़ेदार किस्सा?
हम चारों की ऑफ-स्क्रीन केमिस्ट्री ऑन-स्क्रीन भी झलकती है। हम चारों बहुत जल्दी घुल-मिल जाते हैं और इससे सीन सहज रूप से निकल आता है। एक बार एक सीन में मुझे बहुत तारीफ मिली, बाद में पता चला कि मेरी विग ही नहीं लगी थी। मेकअप वाले भाई साहब भूल गए थे और हम सबने पूरी शूटिंग कर ली। बाद में सीन दोबारा शूट करना पड़ा, लेकिन हम हँसी नहीं रोक पाए।
6. आने वाले एपिसोड्स में दर्शक क्या उम्मीद कर सकते हैं?
हमारे पास दर्शकों के लिए और भी बहुत मजेदार, अप्रत्याशित मोड़ और चतुर कहानी कहने का मौका है। मुझे सबसे ज्यादा उत्साहित करने वाली बात यह है कि भले ही मेरा किरदार शायद ही कभी शब्दों के जरिए संवाद करता हो, फिर भी वह प्रभाव छोड़ने में कामयाब हुआ है। भावनाओं, बुद्धि और मौजूदगी को ज्यादातर हाव-भाव और बॉडी लैंग्वेज के जरिए व्यक्त करना चुनौतीपूर्ण लेकिन अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद है। यदि दर्शक उसकी खामोशी के बावजूद उससे जुड़ रहे हैं, तो मुझे लगता है कि एक अभिनेता के तौर पर यह मेरे लिए एक छोटी लेकिन सार्थक जीत है। यह इस बात का सबूत है कि कभी-कभी, यह इस बारे में नहीं होता कि आप कितना बोलते हैं, यह इस बारे में होता है कि आप लोगों को कैसा महसूस कराते हैं।
देखना न भूलें तेनाली रामा, हर सोमवार से शनिवार, रात 8 बजे, सिर्फ सोनी सब पर।