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सोनी सब के ‘तेनाली रामा’ में लक्ष्मी अम्मा की भूमिका निभाने पर निमिषा वखारिया:

मुंबई, मार्च 2025: सोनी सब का लोकप्रिय शो ‘तेनाली रामा’ अपनी दिलचस्प कहानियों और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण दर्शकों का चहेता बना हुआ है। कृष्णा भारद्वाज द्वारा निभाया गया तेनाली रामा का किरदार, अपनी बुद्धिमत्ता और रणनीति के कारण हमेशा चर्चा में रहा है। अब शो के नए अध्याय में तेनाली रामा को अपने सम्मान को पुनः प्राप्त करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उसे राज्य से निष्कासित कर दिया गया है।

निमिषा वखारिया, जो तेनाली रामा की मां लक्ष्मी अम्मा के रूप में वापस लौटी हैं, ने पहले अपने पुत्र को प्रसिद्धि की ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद की थी, लेकिन अब वह उसके पतन का दर्द भी झेल रही हैं। हालांकि, लक्ष्मी अम्मा संवाद नहीं बोलतीं, लेकिन उनकी भावनाएं और हावभाव ही उनके समर्थन और दृढ़ संकल्प को व्यक्त करने के लिए काफी हैं। इस बार उनका किरदार केवल तेनाली का भविष्य संवारने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उसके सम्मान की लड़ाई में उसके साथ चट्टान की तरह खड़ी हैं।

एक खास बातचीत में, निमिषा वखारिया ने अपने किरदार, ‘तेनाली रामा’ की लोकप्रियता और अपने अनुभवों को साझा किया।

तेनाली रामा में लक्ष्मी अम्मा के किरदार में क्या बदलाव आया है?

जब मैंने यह भूमिका स्वीकार की थी, तब मैं बस यह जानती थी कि मैं एक नायक की मां का किरदार निभाने जा रही हूँ। मुझे नहीं पता था कि लक्ष्मी अम्मा को दर्शकों से इतना प्यार मिलेगा। क्योंकि वह बोलती नहीं हैं, इसलिए मुझे अपने हाव-भाव और इशारों पर पूरी तरह निर्भर रहना पड़ा, जबकि शारदा (प्रियंवदा कांत) उनकी बातों को दर्शकों तक पहुंचाती थीं। शुरू में हमें संदेह था कि क्या दर्शक इस तरह के संवादहीन किरदार से जुड़ पाएंगे, लेकिन वे इसे दिल से अपनाने लगे। इस सीज़न में, लक्ष्मी अम्मा तेनाली के खोए हुए सम्मान को वापस दिलाने के लिए संघर्ष कर रही हैं और उसे अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

इस सीजन में लक्ष्मी अम्मा, तेनाली के जीवन और उसके विकास में कैसी भूमिका निभा रही हैं?
एक समय था जब तेनाली, विजयनगर की शान था। लेकिन निष्कासन के बाद, लक्ष्मी अम्मा का एकमात्र उद्देश्य यही है कि वह अपने बेटे को उसका सम्मान वापस दिलाए। वह उसे कभी-कभी डांटती भी हैं, लेकिन उनका प्यार और विश्वास कभी कम नहीं होता। इस सीजन में उनके रिश्ते की भावनात्मक गहराई पहले से कहीं ज्यादा मजबूत दिखेगी। भले ही वह अपने बेटे को घर में अनुशासन में रखती हैं, लेकिन किसी और को उसके अपमान की इजाजत नहीं देतीं। यहां तक कि वह तथाचार्य (पंकज बेरी) जैसे शक्तिशाली व्यक्तियों का भी सामना करने से पीछे नहीं हटतीं। इस सीजन में तमाम कठिनाइयों के बावजूद, वह सुनिश्चित करती हैं कि उनका बेटा हार न मानने और लड़ता रहे।

इस नए अध्याय में लक्ष्मी अम्मा के व्यक्तित्व में कौन-से नए पहलू देखने को मिलेंगे?

इस बार, लक्ष्मी अम्मा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह अपने बेटे को फिर से उठने में मदद करें। तेनाली भले ही अपनी तकलीफों को शब्दों में ना बयां करें, लेकिन एक मां की नजर सब समझ जाती है। उनकी मां-बेटे की बॉन्डिंग बहुत खास है। लक्ष्मी अम्मा के किरदार की सबसे बड़ी खूबी है उनकी अडिग ताकत। चाहे वह कितनी भी पीड़ा सहें, वह तेनाली के सामने कभी नहीं रोतीं। उन्हें पता है कि अगर वह कमजोर पड़ गई, तो तेनाली भी टूट जाएगा। उनकी हिम्मत ही तेनाली की सबसे बड़ी ताकत है।

इस किरदार को निभाने में आपको क्या कठिनाइयाँ आईं और आपने उन्हें कैसे पार किया?
मैंने इस किरदार को एक चुनौती के रूप में लिया। इससे पहले के शो में जहाँ मैंने पुरस्कार जीते थे, लोग मेरी संवाद अदायगी की बहुत सराहना करते थे। लेकिन यहाँ मेरे पास संवाद ही नहीं हैं—सिर्फ हावभाव हैं। मैं खुद को यह साबित करना चाहती थी कि मैं बिना बोले भी अभिनय कर सकती हूँ। आमतौर पर कलाकार संवाद याद करके परफॉर्म करते हैं, लेकिन मेरे लिए यह चुनौती बिल्कुल अलग थी। मुझे स्क्रिप्ट याद रखनी होती थी, हर शब्द के लिए सही एक्सप्रेशन ढूंढना पड़ता था, और यह ध्यान रखना होता था कि मेरा मुंह ना हिले, जबकि मेरा दिमाग संवादों को प्रोसेस कर रहा होता था। यह बहुत ध्यान और मेहनत मांगता है, लेकिन मुझे इस सफर का हर पल आनंद आ रहा है।

तेनाली और लक्ष्मी अम्मा के बीच में क्या कोई ऐसा भावनात्मक दृश्य है जो आपके अनुसार दर्शकों को सबसे ज्यादा पसंद आएगा? साथी कलाकारों के…

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