आईवीआरआई में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर मानव पोषण एवं स्वास्थ्य में दूध का महत्व विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
बरेली,27नवम्बर।भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर में कल राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर मानव पोषण एवं स्वास्थ्य में दूध का महत्व विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डा. त्रिवेणी दत्त ने भारतीय दुग्ध क्रांति के जनक डा. वर्गीज कुरियन का स्मरण करते हुए कहा कि उनका विश्वास था कि दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण में तकनीकी विकास से यह क्षेत्र तेजी से विकसित होगा। दुग्ध उत्पादन के विकास से महिलाओं का सशक्तिकरण भी आसान हो जायेगा। निदेशक ने कार्यशाला में बताया कि हमारे संस्थान में शीघ्र ही बी.टेक फूड टेक्नोलोजी कार्यक्रम प्रारम्भ करेगा।
इससे पूर्व कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डा. एस. के. मेंदीरत्ता ने कहा कि दूध मानव का श्रेष्ठ लाभदायक पेय हैं। यह राष्ट्रीय पोषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होनें डेयरी सेक्टर में विभिन्न चुनौतियों की चर्चा की और कहा इसमें अभिनव उपायों की आवश्यकता है।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (प्रसार-शिक्षा) डा. रूपसी तिवारी ने मिल्क मैन डा. वर्गीज कुरियन की उपलब्धियों को याद करते हुए कहा कि उन्होनें भारत को दुग्ध की कमी से दुग्ध आधिक्य देश बना दिया। उन्होनें किसानों को गरीबी से बाहर निकाला। आज भारत में विश्व का 25 प्रतिशत दूध उत्पादन किया जाता है। दूध एक ऐसा पेय पदार्थ है जिससे 500 से ज्यादा खाद्य पदार्थ बनाये जाते है। अन्य पशुओं के दूध में भी पोषण और औषधीय गुण पाये जाते है।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी के विभागाध्यक्ष डा. ए. आर. सेन ने किया।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में दो तकनिकी सत्र था जिसमे एक सत्र दूध एवं दूध उत्पादों के मानव पोषण एवं स्वास्थ्य पभाव पर था। इस सत्र में डा. ए. आर. सेन ने अपने अभिभाशण में भारत में दूध उत्पादन एवं प्रसंस्करण के बारे में बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि दूध प्रसंस्करण में हमें अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे प्राप्त उताप्द का पोषण मूल्य बरकार रहे एवं भण्डारण क्षमता भी बाद सके। इसी सत्र में डेयरी कोओपरेटिव से जुरे एक वक्ता ने मानव स्वास्थ्य एव सामुदायिक सुरक्षा में डेयरी कोओपरेटिव के भूमिका पर प्रकाश डाला एवं उन्होंने बताया कि कृषि एवं पशुपालन को बढ़ावा देने में डेयरी कोओपरेटिव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नैनीताल के एक उद्यमी ने अपनी डेयरी उद्यम के बारे में बताते हुए कहा कि उपयुक्त मार्केटिंग रणनीति के इस्तेमाल से पहारी क्षेत्रों के साथ साथ देश के अन्य शहरों में दूध के व्यवसाय को बढाया जा सकता है।
कार्यशाला के दुश्रे सत्र में गैर-गोजातिय पशुओं के दूध पर चर्चा के दौरान जैवरसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राघवेन्द्र सिंह ने ऊँटनी, बकरी एवं भेंर के दूध की गुणवत्ता एवं स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताया एवं इससे संबंधित अनुसंधान पर जोर डाला। वही ऊँटनी एवं बकरी के दूध के व्यवसाय से जुरे एडविक फूड्स के प्रतिनिधि ने दूध व दूध उत्पाद के व्यवसाय ऑनलाइन प्लेटफार्म की उपयोगिता और चुनौतियों पर प्रकाश डाला । इसी सत्र में दूध प्रसंस्करण से संबंधित फ़र्म से आये व्यवसायी श्री संदीप सक्सेना ने दूध प्रसंस्करण में आधुनिक उपकरणों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला । तकनिकी सत्र के अंत में चर्चा के दौरान डा. रूपसी तिवारी ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया कि गोवंश और गैर-गोवंश के दूध और दूध उत्पाद से संबंधित साहित्य को अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में प्रकाशित करने की जरुरत है जिससे गैर-गोवंश के दूध और दूध के गुणवत्ता से संबंधित जानकारी आम आदमी तक पहुचाया जा सके ।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में 272 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन भाग लिया जिसमे 67.6 प्रतिशत छात्र, 21 प्रतिशत फैकल्टी एवं 11.4 औद्योगिक प्रतिनिधि थे. इस कार्यक्रम में कार्यक्रम समन्वयक डा. देवेन्द्र कुमार सहित एल पी टी विभाग के सभी वैज्ञानिक एवं छात्र मौजूद थे । कार्यक्रम का संचालन विभाग के छात्र डा. अभिषेक मिश्रा द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. गीता चौहान द्वारा किया गया । बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट