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जम्मू कश्मीर: जमीन का मालिकाना हक मिलने पर पाकिस्तानी शरणार्थियों ने मनाया जश्न

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए बड़ा फैसला लिया है. जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परिषद ने अहम निर्नय लेते हुए पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को केंद्र शासित प्रदेश की जमीन पर मालिकाना हक दे दिया है. अब ये लोग अपनी इच्छा और जरूरत के हिसाब से संबंधित जमीन का इस्तेमाल कर सकेंगे.

चाहे वो 1947 में पाकिस्तान से आए विस्थापित लोग हों या फिर 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बेघर होने के बाद अपने ही राज्य में शरणार्थी बन गए लोग, उन्हें ये अधिकार दिया गया है. वहीं, इस फैसले के बाद अब वो आवंटित सरकारी जमीन के आवंटी नहीं बल्कि मालिक कहलाएंगे. इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के करीब 70 हजार परिवारों को फायदा होगा.

जम्मू कश्मीर प्रशासन के इस निर्णय सेउनके लिए आर्थिक-सामाजिक संपन्नता और सशक्तीकरण का एक नया दौर शुरू होगा. धारा 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में काफी बदलाव हुए हैं खास तौर पर ऐसे शरणार्थियों के लिए. ये ऐसे समुदाय थे जिनके पास जम्मू कश्मीर में नागरिकता का भी हक नहीं था. ना ही ये लोग यहां पर जमीन ले सकते थे और ना यहां पर अपना वोट डाल सकते थे.

हालांकि, अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बदलाव साफ तौर पर देखा जा सकता है. ऐसे में पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के एक समुदाय को आज बड़ी जीत मिली है. ये लोग एक-दूसरे से गले मिलकर और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर सरकार का शुक्रिया अदा कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उन्हें एक नई उम्मीद जगी है.

इन समुदायों का कहना है कि सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से उनके द्वारा जो जमीन हमें दी गई थी उसका मालिकाना हक आज हमें मिल गया है. उन्होंने कहा कि कई सरकारें आईं और चली गईं लेकिन हमारे साथ सिर्फ भेदभाव ही हुआ. उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह एक बड़ा फैसला है जो हमारे समुदाय के लोगों के लिए लिया गया है. यह फैसला जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंहा की अध्यक्षता में श्रीनगर में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में लिया गया.

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