प्रोमोटर आवंटियों को कब्जा प्रदान करने हेतु एग्रीमेंट में विधि विरुद्ध शर्तें ना डालें- उ.प्र. रेरा
लखनऊ / गौतम बुद्ध नगर: रियल एस्टेट परियोजना के आवंटियों द्वारा उ.प्र. रेरा को ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई है जिनमें प्रोमोटर द्वारा यूनिट का कब्ज़ा प्रदान करने हेतु एग्रीमेंट फॉर सेल से अलग, विधि विरुद्ध और भविष्य में उनके विधिक अधिकारों का उपयोग नहीं किये जाने के शर्तों वाले घोषणा या एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने हेतु बाध्य किया जा रहा है। प्राधिकरण द्वारा ऐसे प्रोमोटर्स के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों का संज्ञान लेने की तैयारी की जा रही है जिससे आवंटियों के अधिकारों और हितों की रक्षा की जा सके। दोषी पाए जाने पर सम्बंधित प्रोमोटर्स पर कार्यवाही भी की जाएगी।
प्राधिकरण द्वारा समय-समय पर प्रोमोटर्स को निर्देश दिए जाते है कि वे मॉडल एग्रीमेंट फॉर सेल के अतिरिक्त किसी भी अन्य फॉर्मैट तथा विधि विरुद्ध एवं मनमाने शर्तों पर, जिनसे उनके विधिक अधिकारों का हनन होता है, यूनिट का कब्ज़ा लेने हेतु बाध्य न करें। प्रोमोटर्स को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे केवल तथ्यों, स्वीकृत मानचित्र तथा लेआउट के आधार पर ही यूनिट का विक्रय करें तथा एग्रीमेंट फॉर सेल की शर्तों के अनुसार एवं सक्षम विकास प्राधिकरण से ओसी (अधिभोग प्रमाण पत्र)/ सीसी (पूर्णता प्रमाण पत्र) प्राप्त होने पर ही कब्जा प्रदान करें।
प्राधिकरण को प्राप्त शिकायतों में यह ज्ञात हुआ है कि प्रदेश के कुछ प्रोमोटर्स द्वारा एग्रीमेंट फॉर सेल या बीबीए में लिखित शर्तों के अनुसार सुविधाएं विकसित किए बिना कब्जा दिया जा रहा है, कब्जा देने के पूर्व एग्रीमेंट में उल्लेखित यूनिट की लागत से ज्यादा धनराशि की मांग की जा रही है तथा बिना ओ.सी/ सी.सी प्राप्त अधूरी परियोजना में यूनिट की रजिस्ट्री कराकर कब्ज़ा लेने हेतु बाध्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त परियोजना की योजना में संबंधित प्राधिकरण से बिना स्वीकृति प्राप्त सुविधाओं का वर्णन करके बेचा जा रहा है, बिना आवंटियों की सहमति से स्वीकृत योजना में बदलाव किया जा रहा हैं तथा एग्रीमेंट फॉर सेल में लिखित समय तक कब्ज़ा प्रदान नहीं किया जा रहा है। ऐसे प्रोमोटर्स मिथ्या तथ्यों पर तथा परियोजना में सुविधाएँ में विकसित किए बिना यूनिट बिक्री करने के बाद रेरा अधिनियम के प्राविधानों से बचने के लिए कब्जा प्राप्त करने हेतु ऐसे एग्रीमेंट/ घोषणा पर हस्ताक्षर करने हेतु बाध्य कर रहे हैं जिसमे ऐसी शर्तों का उल्लेख है जिनसे आवंटी भविष्य में अपनी विधिक अधिकारों का उपयोग न कर सकें।
उपर्युक्त परिस्थितियों में आवंटियों द्वारा रेरा अधिनियम के प्राविधानों के अंतर्गत प्रोमोटर से विलम्ब अवधि का ब्याज सहित कब्जा तथा क्षतिपूर्ति की मांग की जा सकती है एवं अन्य स्तर पर अपने हितों की रक्षा हेतु शिकायत दर्ज की जा सकती है जिसमें उपभोक्ता फोरम, उच्च न्यायलय व सर्वोच्च न्यायलय भी शामिल है। लेकिन भविष्य में इस प्रकार की स्थिति न उत्पन्न हो, ऐसी मंशा के साथ आवंटियों को कब्ज़ा देने के पूर्व ऐसी शर्तों पर स्वीकृति हेतु मजबूर किया जा रहा है जो आवंटियों के हितों के रक्षा के विपरीत है।
संजय भूसरेड्डी, अध्यक्ष, उ.प्र. रेरा के अनुसार आवंटियों को विधि विरुद्ध शर्तों पर कब्जा लेने हेतु बाध्य करने की शिकायतें प्राप्त हुई है। प्रोमोटर्स का यह कृत्य नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत तथा रेरा अधिनियम के उद्देश्यों के विपरीत है एवं रियल एस्टेट सेक्टर के विकास में अवरोधक है। प्रोमोटर्स को केवल तथ्यों और स्वीकृत मानचित्र के आधार पर ही यूनिट का विक्रय करना चाहिए तथा एग्रीमेंट फॉर सेल की शर्तों से बिना विचलित हुए कब्जा प्रदान करना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार से आवंटी स्वयं को ठगा हुआ एवं असन्तुष्ट महसूस न करें।”