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SC ने केंद्र से नोटबंदी के आदेश वाली फाइलें को प्रस्तुत करने को कहा

 

नई दिल्ली: नोटबंदी को लेकर दाखिल की गई अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और आरबीआई से फैसले लेने की प्रक्रिया से संबंधित फाइलें मांगी है। एक ही सप्ताह के अंदर यह दूसरा मामला है जब कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से फाइल मांगी है और फैसला भी सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाली फाइल भी सुप्रीम कोर्ट ने देखी थी। सुप्रीम कोर्ट 2016 के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इस मामले को लेकर कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच गहमा-गहमी भी दिखी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अदालत चुपचाप बैठ जाएगी।

मामले की सुनवाई जस्टिस एस अब्दुल नजीर और बीआर गवाई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और बीवी नागारत्ना वाली संवैधानिक पीठ कर रही थी। बेंच ने सभी पार्टियों को 10 दिसंबर तक लिखित जवाब देने का समय दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से सभी संबंधित दस्तावेज और आदेश की फाइल भी जमा करने को कहा है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने कहा है कि सभी दस्तावेज सील कवर करके पेश किए जाएंगे।

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि अदालत चुपचाप नहीं बैठेकी क्योंकि कोर्ट हमेशा ध्यान दे सकता है कि आर्थिक नीति का फैसला किस तरह लिया गया था। 12 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया था। कांग्रेस नेता और सीनियर ऐडवोकेट पी चिदंरम के तर्कों पर ध्यान देकर कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हुआ था। बता दें कि 8 नवंबर 2016 की मध्य रात्रि से 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया गया था।

वेंकटमानी ने कहा कि कोर्ट में जो हलफनामा दिया गया है उसमें वे ज्यादातर बातें हैं जो कि दस्तावेज में हैं। पी चिदंबर के मुताबिक कोर्ट उस लेटर को भी देखेगा जो कि केंद्र ने आरबीाई को 7 नवंबर को दिया था और नोटबंदी का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद आरबीआई सेंट्रल बोर्ड की 8 नवंबर को हुई बैठक और नोटबंदी के फैसले की पूरी प्रक्रिया के दस्तावेज कोर्ट देखना चाहता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि बोर्ड की बैठक में नोटबंदी पर चर्चा हुई या नहीं ये जानने के लिए दस्तावेज देखना बहुत जरूरी है।

इनमें से बहुत सारे याचिकाकर्ताओं की व्यक्तिगत शिकायत भी है। इसमें पुरानी करेंसी जमा करने में दिक्कत आदि शामिल हैं। केंद्र सरकार ने आदेश दिया था कि 31 दिसंबर के बाद अगर किसी के पास पुराना नोट पाया जाएगा तो उसे सजा मिलेगी। केंद्र ने दावा किया था कि नोटबंदी के कदम से काला धन निकल आएगा। इसके अलावा टेरर फंडिंग पर लगाम लगेगी। याचिकाकर्ता का कहना है कि जितनी करेंसी मार्केट में थी लगभग सारी ही बैंकों में वापस आ गई ऐसे में कालेधन पर लगाम लगाने का मकसद नहीं पूरा हुआ।

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