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रक्षा औद्योगिक गलियारों में स्थापित किए जाएं कौशल विकास केंद्र, मुख्यमंत्री योगी ने की यूपीडा के कार्यों की समीक्षा

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि रक्षा औद्योगिक गलियारे के सभी नोड्स (लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, अलीगढ़ और चित्रकूट) में कौशल विकास केंद्रों की स्थापना की जाए। इन केंद्रों से प्रशिक्षण प्राप्त कर युवाओं को रक्षा औद्योगिक गलियारों में ही रोजगार मिलने में आसानी रहेगी। उन्होंने गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण दिसंबर तक पूरा कराने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं, ताकि राज्य के पश्चिमी और पूर्वी अंचलों के बीच कनेक्टिविटी स्थापित हो सके। इसका निर्माण पहले दो नवंबर तक पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया था।

बुधवार को अपने सरकारी आवास पर यूपीडा के कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा एक्सप्रेसवे के विस्तार स्वरूप प्रस्तावित मेरठ-हरिद्वार लिंक एक्सप्रेसवे, नोएडा-जेवर लिंक एक्सप्रेसवे, चित्रकूट-रीवा लिंक एक्सप्रेसवे तथा प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली और सोनभद्र तक प्रस्तावित विंध्य एक्सप्रेसवे व विंध्य-पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेसवे के रूट को भी जल्द से जल्द तय किया जाए।

इस काम में देरी न की जाए, जिससे सभी संबंधित क्षेत्रों को और बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि नए एक्सप्रेसवे की योजना बनाते समय भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) द्वारा प्रस्तावित एक्सप्रेसवे और हाइवे नेटवर्क का पूरा ध्यान रखा जाए, ताकि राज्य में एकीकृत और समन्वित सड़क तंत्र विकसित हो सके। उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे राज्य की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक तरक्की की रीढ़ हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि आवंटन के तीन वर्ष के भीतर यदि निवेशक द्वारा निवेश नहीं किया जाता है तो आवंटन निरस्त किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भूमि उपयोग की निगरानी की पारदर्शी व्यवस्था बनाई जाए और निवेशक को केवल वास्तविक प्रगति की स्थिति में ही आगे की सुविधाएं दी जाएं। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि एक्सप्रेसवे के किनारे विकसित हो रहे औद्योगिक क्लस्टर और लाजिस्टिक पार्कों में निवेश आकर्षित करने के लिए बिजली, जलापूर्ति, ट्रक टर्मिनल और हेल्थ-इमरजेंसी सुविधाओं की व्यवस्था की योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है।

रक्षा औद्योगिक गलियारे के लिए अब तक लगभग 30,819 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। 5039 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है। कई कंपनियों द्वारा कार्य प्रारंभ भी किया जा चुका है।

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