नवाचार, सतत ऊर्जा एवं हरित प्रौद्योगिकी पर मंथन और स्टार्टअप कॉन्क्लेव के साथ आईसीपीएचडी का सफल समापन

जायस (अमेठी): राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान (आरजीआईपीटी), जायस में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “आईसीपीएचडी-2025 (पेट्रोलियम, हाइड्रोजन एंड डीकार्बोनाइजेशन)” का आज सफल समापन हुआ। तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण स्टार्टअप कॉन्क्लेव और समापन समारोह रहा, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार, उद्यमिता और सतत विकास की दिशा में नई पहलें सामने आईं।
स्टार्टअप कॉन्क्लेव में चार प्रमुख उद्योग एवं स्टार्टअप उद्यम वर्जिल डायनेमिक्स, ग्रीनोवेट सॉल्यूशन्स, एसएनएफ फ्लोपैम इंडिया प्रा लि, और पीआरईएसपीएल ने अपनी तकनीकी दृष्टि और नवाचार साझा किए।
वर्जिल डायनेमिक्स, एक डीपटेक स्टार्टअप जिसकी स्थापना डॉ. नवीन वेलमुरुगन ने की थी, ने ड्रिलिंग उद्योग में एडवांस्ड ऑटोमेशन और डिजिटल ट्विन टेक्नोलॉजी के उपयोग पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पहले सिद्धांतों पर आधारित भौतिकी और मशीन लर्निंग के उपयोग से डाउनटाइम समाप्त कर अधिक सुरक्षित, सस्ती और गहराई तक ड्रिलिंग संभव है। ग्रीनोवेट सॉल्यूशन्स प्रा. लि. से श्री रोनक मिस्त्री, डायरेक्टर ने ऊर्जा दक्षता और पर्यावरणीय स्थिरता में योगदान देने वाली उन्नत हरित प्रौद्योगिकियों पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि ग्रीनोवेट द्वारा विकसित क्लीन एनर्जी इनोवेशन मॉडल्स औद्योगिक कार्बन फुटप्रिंट को घटाने और पुनर्नवीनीकरण-आधारित उत्पादन प्रणालियों को अपनाने में सहायक हैं।

एसएनएफ फ्लोपैम इंडिया प्रा. लि. से डॉ. महेश कुलकर्णी, हेड ने रासायनिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में वॉटर ट्रीटमेंट और पॉलिमर टेक्नोलॉजी से जुड़ी उन्नत तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इको-फ्रेंडली पॉलिमर सिस्टम्स अपशिष्ट जल प्रबंधन, ड्रिलिंग फ्लूइड्स और ऑयल रिकवरी प्रक्रियाओं में स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। पीआरईएसपीएल से श्री गौरव उपाध्याय ने बताया कि भारत अब बायोमास क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। कंपनी कृषि अवशेषों को ऊर्जा स्रोत में परिवर्तित कर पावर प्लांट्स और उद्योगों को ईंधन आपूर्ति कर रही है। उन्होंने कहा कि फॉसिल फ्यूल्स के स्थान पर हरित ऊर्जा को अपनाने से कार्बन एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई है और किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण प्राप्त हो रहा है।

समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. हरीश हिरानी, निदेशक आरजीआईपीटी ने की। उन्होंने उत्कृष्ट शोध प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया और कहा कि “भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता का मार्ग उद्योग, अकादमिक जगत और नीति-निर्माताओं के सहयोग से ही संभव है।” ओरल प्रेजेंटेशन श्रेणी में मनीष कुमार श्रीवास्तव, वंकला जय स्फूर्ती, तिग्नांशु दास, सहेली घोष दास्तिदार और वर्षा सर्वश्रेष्ठ घोषित किए गए। पोस्टर प्रेजेंटेशन श्रेणी में श्रुति चौबे, प्रभात, प्रियांशु कुमार दास, तिकेंद्र साहू और सैकत डे विजेता रहे।

संयोजक डॉ. शैलेश कुमार ने तीन दिवसीय सम्मेलन की गतिविधियों का सार प्रस्तुत करते हुए कहा कि “आईसीपीएचडी-2025 ने ‘सततता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए विज्ञान’ की थीम को मूर्त रूप दिया है और उद्योग–अकादमिक–नीति समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है।” सम्मेलन के सफल संचालन में प्रो. सतीश सिन्हा, प्रो. आलोक कुमार सिंह, डॉ. तुषार शर्मा, डॉ. सिद्धार्थ, डॉ. सिद्धांत, डॉ. हेमंत, डॉ. पीयूष और डॉ. अमित का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

