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नॉर्मल का उल्टा ‘एबनॉर्मल’ नहीं होता बल्कि ‘एक्स्ट्राऑर्डिनरी’ होता है : अनुपम खेर

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में भावनाओं से भरी सिनेमा की एक खास शाम देखने को मिली, जब मशहूर फ़िल्मकार, अभिनेता और निर्देशक अनुपम खेर ने अपनी नई निर्देशन में बनी ‘तन्वी द ग्रेट’ पेश की। यह फ़िल्म ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम पर रहने वाली एक असाधारण लड़की की कहानी है, जो गलत समझे जाने के बावजूद अपने सैन्य अफसर पिता के कदमों पर चलते हुए आर्मी में शामिल होने का सपना पूरा करने की राह पर निकलती है। वह साबित करती है कि असली हीरो दिल से आता है। फिल्म की फेस्टिवल स्क्रीनिंग के बाद अनुपम खेर और अभिनेत्री तन्वी ने मीडिया से बातचीत की। दर्शकों और प्रतिनिधियों ने फ़िल्म को गर्मजोशी और उत्साह के साथ सराहा।

दरअसल, फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ अपने उत्थानकारी संदेश , बारीकी से गढ़े गए पात्रों, और सहज भावनात्मक यात्रा के लिए लगातार प्रशंसा बटोर रही है। इफ्फी में इसका स्वागत फिल्म की बढ़ती यात्रा में एक और मील का पत्थर है। यह विभिन्न आयु समूहों और सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के दर्शकों के बीच इसके आकर्षण को रेखांकित करता है।

वहीं, मीडिया से बातचीत के दौरान अनुपम खेर ने बताया कि यह कहानी उनके व्यक्तिगत और पारिवारिक अनुभवों से गहराई से जुड़ी है, जिसके कारण यह प्रोजेक्ट उनके लिए भावनात्मक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बन गया। ऑटिज़्म पर बात करते हुए अनुपम खेर ने कहा कि हम अक्सर “नॉर्मल” का उल्टा “एबनॉर्मल” मान लेते हैं, जबकि नॉर्मल का उलट “एक्स्ट्राऑर्डिनरी” भी हो सकता है।

उन्होंने कहा कि अब वे उन कहानियों की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं जो मानवीय सहनशीलता, संवेदनशीलता और जीवन-परिवर्तन को दर्शाती हैं। खेर ने आगे कहा कि वे आगे भी ऐसे ही प्रोजेक्ट्स पर काम करते रहेंगे जो “मानव भावनाओं के मूल को छूते हों और लोगों को अपने जीवन में सकारात्मक और सार्थक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करें।”

प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक मुख्य आकर्षण फिल्म की मुख्य अभिनेत्री शुभांगी दत्त की उपस्थिति थी, जिन्होंने ‘तन्वी द ग्रेट’ के साथ सिनेमा जगत में अपनी शुरुआत की है। कैमरे के सामने अपने पहले अनुभव के बारे में बात करते हुए शुभांगी ने अनुपम खेर के अनुशासित और गहन निर्देशन दृष्टिकोण की जमकर तारीफ की। उन्होंने उन्हें एक “सख्त गुरु” बताया, यह कहते हुए कि उनके मार्गदर्शन ने न केवल उनके अभिनय को निखारा बल्कि उनके भीतर छिपी कलात्मक क्षमता को पहचानने में भी मदद की।

शुभांगी ने आगे कहा कि वह भविष्य में सिनेमा की विविध शैलियों को तलाशना चाहती हैं-ऐसे किरदार निभाना चाहती हैं जो उनके हुनर को चुनौती दें और ऐसी कहानियों का हिस्सा बनना चाहती हैं जो समाज में सार्थक संदेश छोड़ें।

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