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अनोखी कहानी है दुष्यंत प्रताप सिंह की आगामी पुस्तक सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा

Satyaki Dwapar Ka Ajey Yodha का वीडियो ट्रेलर रिलीज होने के बाद इस पुस्तक के बारे में पाठकों का उत्साह बढ़ता जा रहा है. इस पुस्तक के प्रमुख किरदार सात्यकि को समझने के लिए पुस्तक के लेखक दुष्यंत प्रताप सिंह ने बताया कि कौन है सात्यकि और सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा पुस्तक से क्या संदेश देना चाहते हैं दुष्यंत.

बॉलीवुड के प्रसिद्ध लेखक ,निर्देशक Dushyant Pratap Singh ने इस आगामी पुस्तक के बारे में बताया कि सात्यकि द्वापर युग के एक ऐसे अजेय योद्धा थे जिनके सामने शत्रु सेना घुटने टेक देती थी, उस कालखंड के बड़े बड़े महारथी वसुदेव कृष्ण और बलभद्र के इस शिष्य के सामने झुक जाते थे, कदाचित प्रभु श्री कृष्ण और शेषावतार बलराम के अलावा सात्यकि ही द्वापर के ऐसे योद्धा थे जो अविजित रहे.

सतयुग, त्रेतायुग व द्वापर में ईश्वरीय अवतारों के अलावा ये परम सौभाग्य सात्यकि को ही प्राप्त है, कृष्ण के इस प्रिय सखा का हमारी युग गाथाओं में उतना वर्णन नहीं मिलता जिसके वे अधिकारी है। लेखन, अनुसंधान व आत्मसाक्षात्कार के वक्त इस महान महारथी की वीरता की कल्पना आपके रोंगटे खड़े कर देती है. शाल्व, शल्य, विरुपाक्ष, गंगापुत्र भीष्म, सूर्यपुत्र कर्ण, द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, दुर्योधन, अलम्बुश जैसे योद्धाओं को परास्त करने वाले इस वीर की निष्ठा सिर्फ अपने प्रभु केशव और दाऊ के लिए थी। प्रभु श्री कृष्ण उनकी सारी दुनिया थे और उतना ही प्रेम और भरोसा कृष्ण को सात्यकि पर था।

हां एक और शख्स था जो सात्यकि के दिल में रहता था वो था सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु। इस सत्य को कोई नहीं झुठला सकता कि अगर महाभारत में सात्यकि और अभिमन्यु ना लड़े होते तो शायद इतिहास कुछ और ही होता। वृष्णि वंश के इस वंशज की गाथा “सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा” अपने 32 अध्याय और 400 पृष्ठों में इतिहास के ऐसे ही छुपे हुए रहस्यों को उजागर करने आ रहा है. दुष्यंत ने आशा व्यक्त की पाठकों को यह पुस्तक इस महान योद्धा की वीरगाथा को बहुत करीब से जोड़ने का प्रयास करेगी.

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