विपक्ष विषयहीन, सारा देश खड़ा है विनेश फोगाट के साथ : जेपी नड्डा
नई दिल्ली : राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा है कि विनेश फोगाट मामले पर जिस तरह से विपक्ष ने व्यवहार किया है, उससे संसदीय मर्यादाओं का उल्लंघन हुआ है। गुरुवार को राज्यसभा में विपक्षी सांसद विनेश फोगाट को ओलंपिक में अयोग्य घोषित किए जाने का मुद्दा उठाना चाहते थे। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इस मुद्दे पर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन इसके लिए विपक्ष को अनुमति नहीं मिली। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने सदन में हंगामा किया। हंगामा के बाद नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि प्रजातंत्र में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन प्रजातंत्र भी एक व्यवस्था के अनुसार चलता है।
नड्डा ने कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का व्यवहार जिस तरह से चेयर के प्रति रहा है, वह निंदनीय है। जहां तक विनेश फोगाट का सवाल है, यह कोई पक्ष और विपक्ष का सवाल नहीं है, यह देश का सवाल है। सारा देश उनके साथ खड़ा है। यह खेल को आगे बढ़ने का विषय है, जिसके साथ सब लोग भावनात्मक तरीके से जुड़े हैं और विनेश के साथ खड़े हैं। प्रधानमंत्री ने विनेश के लिए कहा कि वह चैंपियन ऑफ चैंपियंस हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सारा देश उनके साथ खड़ा है। सारे देश को लगता है कि प्रधानमंत्री की आवाज देश के 140 करोड़ लोगों की आवाज है।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य इस बात का है कि इसको भी हम पक्ष और विपक्ष में बांटने का प्रयास करते हैं। मुझे लगता है कि शायद विपक्ष विषयहीन हो चुका है। जब सारा देश विनेश फोगाट के साथ खड़ा है, जो सभी प्लेटफार्म थे और हैं, उन सब पर रिड्रेसल का प्रयास भारत सरकार, खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ ने किया है। वहीं सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस पवित्र सदन को अराजकता का केंद्र बनाना, भारतीय प्रजातंत्र के ऊपर कुठाराघात करना, अध्यक्ष की गरिमा को धूमिल करना, शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण वातावरण करना यह अमर्यादित आचरण नहीं है, यह हर सीमा को लांघने वाला आचरण है।
सभापति ने कहा कि यह सदन इस समय देश की रूलिंग पार्टी के अध्यक्ष को सदन के नेता के रूप में देख रहा है। यह सदन इस समय विपक्षी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष की उपस्थिति को बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में देख रहा है। उन्होंने कुछ सांसदों के व्यवहार को लेकर कहा कि यह चुनौती मुझे नहीं बल्कि सभापति के पद को दी जा रही है। यह चुनौती इसलिए दी जा रही है, क्योंकि ये सोचते हैं कि जो व्यक्ति इस पद पर बैठा है वह इसके योग्य नहीं है। सभापति ने कहा कि मैंने प्रयास में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन मुझे सदन का सहयोग जितना चाहिए था, उतना नहीं मिला है।