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TMC ने मोहन भागवत के बयान पर जताया विरोध, कहा-बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा केंद्र की जिम्मेदारी

नई दिल्‍ली : बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के हालात को लेकर आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान पर जवाब देते हुए टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि यह किसी राज्य सरकार की नहीं बल्कि केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। मीडिया से बात करते हुए कुणाल घोष ने कहा, आरएसएस चीफ के विचार हमारे विचारों से मेल नहीं खाते हैं। अगर बांग्लादेश के बारे में कोई बात कहनी है तो उन्हें केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए। केंद्र में बीजेपी की सरकार है और आरएसएस खुद ही बीजेपी की आत्मा है।

घोष ने कहा, बांग्लादेश एक अलग दे है। टीएमसी ने वहां हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार की निंदा की है लेकिन टीएमसी विदेश के मामलों में कुछ कर नहीं सकती है। यह जिम्मेदारी केंद्र की है। वहं कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि आरएसएस चीफ का बयान उनकी संकीर्ण मानसिकता को दिखाता है। विदेश में भारतीयों और हिंदुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।

भगत ने कहा, हमारी मानसिकता संकीर्ण नहीं होनी चाहिए। अगर आप किसी को धर्म के आधार पर अलग करते हैं तो यह अच्छी बात नहीं है। देश की सरकार की जिम्मेदारी है कि हर नागरिक की सुरक्षा करे। बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा है वह बेहद चिंताजनक है। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि बिना ताकत के शांति भी नहीं हो सकती। हमें सुरक्षा के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करना होगा। मैं केवल बांग्लादेश की बात नहीं कर रहा बल्कि जहां भी हिंदू रहते हैं, उनकी सुरक्षा इस सरकार की जिम्मेदारी है। समाज में शत्रुता का माहौल नहीं बनना चाहिए। भाईचारे का माहौल बनाना भी सरकार की जिम्मेदारी है।

बता दें कि आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने रविवार को कहा था कि केंद्र सरकार को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि पड़ोसी देश के हिंदुओँ से भी एकजुट रहने की अपील की थी और कहा था कि वैश्विक स्तर पर हिंदुओं को एकजुट रहने की जरूरत है।

बंगाल को लेकर उन्होंने कहा था कि अगर हिंदू आबादी एकजुट रहती है को बंगाल में भी परिवर्तन होने से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि राजनीतिक बदलाव आरएसएस की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि वह सामाजिक बदलाव के लिए कार्य कर रहे हैं। बता दें कि हाल हीमें बांग्लादेश में 27 साल के हिंदू शख्स दीपू चंद्र दास की बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनपर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस का कहना है कि इस मामले में 10 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

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