गोमती नदी संरक्षण हेतु साप्ताहिक अभियान
लखनऊ, 20 सितम्बर 2025: गोमती नदी संरक्षण अभियान के विषय में बताते हुए विश्वम फाउंडेशन के संस्थापक यू०पी०त्रिपाठी ने कहा कि – संस्था की प्रमुख मुहिम “मेरी धरती, मेरी ज़िम्मेदारी” के अंतर्गत, गोमती टास्क फोर्स, 137 कॉम्पोजिट इकोलॉजिकल टास्क फोर्स बटालियन (प्रादेशिक सेना) 39 गोरखा राइफल्स, यू पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन, क्लाइमेट ग्रुप, एनसीसी, श्री रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय एवं प्रमुख विभाग और अन्य सहयोगी एन०जी०ओ० के साथ मिलकर गोमती नदी संरक्षण हेतु सप्ताह भर (25 सितंबर 2025 से 1 अक्टूबर 2025) का जन-जागरूकता एवं क्रियान्वयन अभियान शुरू किया जायेगा, जिसमें लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन की विशेष सहभागिता रहेगी जो इस अभियान को प्रदेश स्तर तक प्रभावी बनाएगी । यूनियन के लखनऊ जिला अध्यक्ष श्री शिव शरण सिंह ने कहा कि गोमती संरक्षण सप्ताह के अभियान को जन जन तक पहुँचाने के लिए प्रदेश के सभी सदस्य का पूर्ण सहयोग रहेगा । उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि नवरात्रि पूजन के दौरान विसर्जन की सामग्री को उठवाने के लिए वार्ड स्तर पर व्यवस्था होनी चाहिए, इसके लिए नगर निगम से सहयोग लिया जायेगा। यूनियन के महामंत्री श्री नितिन श्रीवास्तव ने सभी पत्रकारों से इस मुहिम का सहयोग करने की अपील की ।
इस अभियान के बारे में चर्चा करते हुए डॉ० ए०पी० माहेश्वरी पूर्व डी०जी० सी०आर०पी०एफ०, जो अब पर्यावरण संरक्षण कार्य से जुड़े है, ने बताया कि हमारे पूर्वज धार्मिक अनुष्ठानों में नदी में मूर्तियों एवं अन्य सामग्रियों का विसर्जन करते थे किंतु उनकी पवित्रता का ख्याल रखते थे। मिट्टी की कच्ची मूर्तियां का प्रयोग, कागज को कूट कर उसकी लुगदी से मूर्ति निर्माण करते थे जिसे ‘पेपरमैशे’ के नाम से भी जानते हैं।पेड़ की जड़ों या तनों पर भी देवताओं की छवि गोद कर उसको अंगीकृत करते थे। प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता था, अस्तु सब जल में घुल जाता था। बचपन में राजस्थान में गाँव में उसका बहुत प्रचलन था। पहाड़ों में भी। हमें हमारे पूर्वजों से अभी भी बहुत कुछ सीखना है। प्रबुद्ध नागरिक इस चेतना में भाग लें तो श्रेयस्कर होगा। उत्तम यो ये भी रहेगा कि समय और परिस्थितियों के आधार पर क्रिया-कलापों में पर्यावरण की दृष्टि से परिमार्जन किया जाए। मार्केटिंग की दुनिया ने जो कृत्रिम विकल्प निकाले हैं जो पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं वे पूर्णतया अस्वीकार्य होने चाहिए। हमारे समाज में इसकी स्वीकार्यता हेतु यह कार्यक्रम अनवरत चलना चाहिए । वर्तमान में जो भ्रांतियां आई हैं क्योंकि हमारे पूर्वजों का ज्ञान मौखिक रूप से तो अगली पीढ़ी तक पहुँच गया लेकिन उसका तार्किक पक्ष का प्रसार नहीं हो पाया ।
धर्मगुरु योगेश व्यास जी ने कहा कि नवरात्रि के बाद देवी माँ की मूर्ति के विसर्जन में हमें इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि देवी माँ कभी नहीं चाहेंगी कि गोमती नदी विसर्जन के कारण प्रदूषित हो । उन्होंने धर्म के नाम पर अधर्म को बढ़ावा नहीं देना चाहिए । शास्त्रों में भी नदी को प्रदूषित करना गलत माना गया है । उन्होंने आम जनमानस से इस अभियान में सहयोग करने का आग्रह किया ।
इस अवसर पर श्री राम स्वरुप मेमोरियल यूनिवर्सिटी के सिविल डिपार्टमेंट से आये असिस्टेंट प्रोफेसर श्री अमोल गुप्ता ने आपने यूनिवर्सिटी के युवाओं को इस अभियान से जोड़ने पर प्रतिबद्धता जताई । साथ-साथ अपने संस्थान में इस अभियान की जागरूकता करने का भरोसा दिया ।
इस अभियान की शुरुआत उस समय की जा रही है , जब नवरात्रि के दौरान हज़ारों श्रद्धालु देवी माँ की प्रतिमाओं को गोमती नदी के विभिन्न घाटों और पुलों पर विसर्जित करेंगे। प्लास्टर ऑफ पेरिस (पी०ओ०पी०) और रासायनिक रंगों से बनी प्रतिमाएँ नदी में जहरीली धातुएँ मिलाती हैं। इसके साथ-साथ फूल, प्लास्टिक, थर्माकोल और अन्य कचरा नदी की स्थिति और बिगाड़ देता है। यह अभियान इस संदेश पर बल देता है कि गोमती मैया का संरक्षण करना, श्रद्धा और पर्यावरण दोनों का सम्मान है। इस कार्यक्रम में क्लाइमेट ग्रुप के दिव्यांशु शुक्ल, एवं रामस्वरूप विश्वविद्यालय के अमोल गुप्ता ने भी वालंटियर सहयोग प्रदान करने के लिए सुनिश्चित किया ।
प्रमुख सहयोगी – गोमती टास्क फोर्स, 137 कॉम्पोजिट इकोलॉजिकल टास्क फोर्स बटालियन (प्रादेशिक सेना) 39 गोरखा राइफल्स, लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन, श्री राम स्वरुप मेमोरियल यूनिवर्सिटी, सिविल डिपार्टमेंट

मुख्य गतिविधियाँ:
• शपथ ग्रहण एवं शुभारम्भ गोमती टास्क फोर्स, 137 कॉम्पोजिट इकोलॉजिकल टास्क फोर्स बटालियन (प्रादेशिक सेना) 39 गोरखा राइफल्स, सहयोगी एन०जी०ओ० व स्वयंसेवकों के साथ
• विद्यालय , महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय कार्यक्रम – नुक्कड़ नाटक, जागरूकता सत्र एवं पर्यावरण अनुकूल प्रतिमा प्रोत्साहन
• मंदिर एवं श्रद्धालु जुड़ाव – पोस्टर, नारे और पर्चों के माध्यम से
• वैकल्पिक विसर्जन व्यवस्था – कृत्रिम तालाबों में विसर्जन और विसर्जन हेतु मार्गदर्शन
• गोमती स्वच्छता अभियान – गोमती टास्क फोर्स, एनएसएस, एनसीसी, विद्यालयों, स्वयंसेवकों और आम नागरिकों की सहभागिता
• समापन एवं सांस्कृतिक संध्या – स्वयंसेवकों व सहयोगियों का सम्मान
यह अभियान स्वयंसेवी भागीदारी पर आधारित है। इस अभियान के सभी सहयोगी भागीदारी के मूल भाव पर मिल कर काम करेंगे ।
अभियान का उद्देश्य श्रद्धालुओं व आम जनमानस को जागरूक करना, नदी का प्रदूषण कम करना और भविष्य में सतत एवं पर्यावरण अनुकूल धार्मिक परंपराएँ अपनाना है ।

