एसआरएमएस सीईटीआर में नेशनल कांफ्रेंस नेटकाम- 2023 का शुभारम्भ
बरेली , 22 सितम्बर । श्रीराममूर्ति कालेज आफ इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (सीईटीआर) में दो दिवसीय छठी नेशनल कांफ्रेंस नेटकाम- 2023 का आज शुभारम्भ हुआ । सीईटीआर स्थित ऑडिटोरियम में पहले दिन उद्घाटन सत्र के साथ इसके दो टेक्निकल सत्र भी आयोजित हुए। द इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियर्स इंडिया के बरेली सेंटर के सहयोग से आयोजित इस नेशनल कांफ्रेंस में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और चैट जीपीटी का वर्तमान में रुझान को आधार बनाया गया। उद्घाटन सत्र में एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि इसकी मदद से कई क्षेत्रों में अकल्पनीय बदलाव आ रहे हैं। मेडिकल साइंस भी इससे अछूता नहीं है। मेडिकल कालेज में जल्द ही हम लोग भी एआई की मदद से प्रोसीजर करना आरंभ कर देंगे। इससे प्रतिदिन प्रोसीजर्स की संख्या तीन गुना बढ़ जाएगी और ज्यादा से ज्यादा मरीजों को इसका फायदा होगा। देव मूर्ति जी ने विद्यार्थियों से एआई के यूज और मिसयूज को भी विद्यार्थियों के सामने रखा। उन्होंने कहा कि सिर्फ इसी पर निर्भर न रहें। इसके साथ अपनी स्किल भी बढ़ाएं। नॉलेज भी बढ़ाएं। मेहनत करें और रिसर्च करते रहें। क्योंकि यही आपको आगे रखेगा और सम्मान दिलाएगा। इसी से पहचान बनेगी।
इससे पहले कालेज के प्रिंसिपल और कांफ्रेंस डायरेक्टर डा.एलएस मौर्य ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया और नेशनल कांफ्रेंस के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कांफ्रेंस में 38 रिसर्च पेपर प्रेजेंट करने के साथ विभिन्न विषयों पर व्याख्यान हो रहे हैं। इससे विद्यार्थियों को सीखने और अपना ज्ञान बढ़ाने का अच्छा मौका मिल रहा है। द इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियर्स इंडिया के बरेली सेंटर के चेयरमैन इंजीनियर राज गोयल ने कहा कि जिसके पास जितना ज्ञान होता है उसे उतना ही इंटेलीजेंट माना जाता है। आज इस ज्ञान का मतलब डेटा है। ऐसे में जिसके पास जितना डेटा है वह उतना ही इंटेलिजेंट है। इसी डेटा पर एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी काम कर रहा है। यह समस्या से पहले उसका समाधान देने में सक्षम है। चैट जीपीटी इसका टूल है। एसआरएमएस ट्रस्ट के एडवाइजर इंजीनियर सुभाष मेहरा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज जिंदगी को आसान बना रहा है। इसके कई फायदे हैं। इसके जरिये ड्राइवर के बिना सुरक्षित यात्रा संभव है। यह भाषा को संबंधित व्यक्ति की भाषा में अनुवाद कर के उसके सामने रख सकता है। इसकी मदद से रोबोटिक सर्जरी हो रही है। इस पर निर्भरता से हमारी याददाश्त कम होती जा रही है। लिखते समय यह स्पेलिंग को दुरुस्त करने के साथ यह व्याकरण की गलतियां भी ठीक कर रहा है। इतनी निर्भरता निसंदेह इसका मिसयूज है। अंत में द इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियर्स इंडिया के बरेली सेंटर के आर्गनाइजिंग सेक्रेटरी इंजीनियर प्रदीप माधवार ने सभी का आभार जताया और धन्यवाद दिया। उद्घाटन समारोह का संचालन रुचि शाह ने किया। जबकि टेक्निकल सेशन का संचालन नेहा शर्मा ने किया। इस मौके पर इंजीनियर सुरेश सुंदरानी, इंजीनियर सुधीर गुप्ता, इंजीनियर केबी अग्रवाल, फ्यूचर कालेज के डायरेक्टर हेमंत यादव, सीईटी के डीन डा.प्रभाकर गुप्ता, डायरेक्टर प्लेसमेंट सेल डा.अनुज कुमार, डायरेक्टर फार्मेसी डा.आरती गुप्ता, डायरेक्टर लॉ कालेज डा.नसीम अख्तर, प्रोफेसर अनीश चंद्रन और अन्य विभागाध्यक्ष मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट