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अब पर्यावरण का भी ख्याल रखेगा रेलवे, 2030 तक हो जाएगा इको-फ्रेंडली

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधाओं के साथ ही अब पर्यावरण को स्वच्छ बनाने पर भी फोकस कर रहा है. देश में रेलवे के द्वारा प्रदूषण नहीं हो इसको लेकर रेलवे प्रतिबद्ध है और कोशिश कर रहा है कि 2030 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. रेलवे ने पिछले कुछ समय से लगातार एक के बाद एक कई ऐसे उपाय किए हैं, जिसमें आधुनिक रेल को Eco Friendly रेल के तौर पर जाना जाए.

पूरी तरह से विद्युतीकरण करने का प्रयास

पिछले कुछ समय में रेलवे ने सबसे व्यस्त रेल नेटवर्क का पूरी तरह से विद्युतीकरण करने का प्रयास किया है. जिसमें लगभग 142 मेगा वॉट सोलर प्लांट और लगभग 103 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र चालू किए गए हैं. लोकोमोटिव, इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) ट्रेनों, मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (एमईएमयू) ट्रेनों, कोलकाता मेट्रो रेक और इलेक्ट्रिक ट्रेन सेटों में पुनर्योजी ब्रेकिंग के साथ इंसुलेटेड गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर (आईजीबीटी) आधारित 3-चरण प्रणाली का उपयोग किया गया है.

ध्वनि और वायु प्रदूषण में कमी की कोशिश

इसके अलावा ध्वनि, वायु प्रदूषण और डीजल की खपत को कम करने के लिए एंड ऑन जेनरेशन (ईओजी) ट्रेनों को हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) ट्रेनों में बदला जा रहा है. कार्बन सिंक बढ़ाने के लिए रेलवे की जमीन पर वृक्षारोपण किया जा रहा है.

बिजली की खपत में कमी की कोशिश

बिजली की खपत में कमी के लिए रेलवे स्टेशनों, सेवा भवनों, आवासीय क्वार्टरों और कोचों सहित सभी रेलवे प्रतिष्ठानों में (एलईडी) लाइट की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा पिछले कुछ समय में ही विभिन्न औद्योगिक इकाइयों, रेलवे स्टेशनों और अन्य रेलवे प्रतिष्ठानों का ग्रीन सर्टिफिकेशन किया जा चुका है.

हवा और सूरज की रौशनी से चलेगी ट्रेनें
रेलवे ने रेलवे स्टेशनों और अलग-अलग इमारतों की छतों रपर 100 मेगावाट क्षमता वाले सौर पैनल लगाए गए हैं। जबकि 400 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए प्लांट लगाने का काम तेजी से चल रहा है। रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अग तक 40,000 से अधिक रूट किलोमीटर पर विद्युतीकरण का काम पूरा कर लिया गया है। वहीं 20 गीगावॉट के सोलर प्लांट के लिए 51,000 हेक्टेयर भूमि तैयार की है, जहां भेल की मदद से अब तक 1.7 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट तैयार किया जा चुका है। वहीं हवा की मदद से ट्रेन चलाने के लिए अगले दो सालों में 200 मेगावाट की क्षमता वाले विंड प्लांट लगाए जाएंगे, जहां हवा की मदद से बिजली का उत्पादन होगा।

2030 तक पूरी तरह हरित रेलवे की तैयारी
रेलवे ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में बड़ी पहल की है। अगले 10 सालों में रेलवे ने खुद को ग्रीन रेलवे में ट्रांसफॉर्म करने का लक्ष्य रखा है। जिसके लिए रेलवे ने इलेक्ट्रीफिकेशन, लोकोमोटिव और ट्रेनों की एनर्जी एफिसिएंसी में सुधार की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। वहीं रेलवे ने बिजली की बचत के लिए नई पहल शुरू की है। जिसके मुताबिक ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आने पर 100 फीसदी लाइट्स जलेंगी और जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म से चली जाएंगी वहां की 50 फीसदी लाइटें अपने आप बंद हो जाएंगी। कई स्टेशनों पर इसकी शुरुआत की जा चुकी है , जिसे धीरे-धीरे देशभर के सभी स्टेशनों पर फैलाना है।

 

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