उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में देश के पशुपालन निदेशकों के साथ इंटरफेस बैठक का आयोजन 

बरेली,10 मई। आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर में कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों के जोन- पटना (IV), कोलकाता (V),  गुवाहटी (VI) तथा बारापानी (VII) के साथ दूसरी इंटरफ़ेस बैठक का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया।
बैठक में 12 राज्यों सहित एक केन्द्र शासित प्रदेश को शामिल किया गया तथा बैठक में अटारी एवं केवीके के कुल 217 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
अपने उद्बोधन में उप-महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डा. उधम सिंह गौतम ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आईवीआरआई के साथ निकट संपर्क किसानों के लिए प्रौद्योगिकियों के त्वरित हस्तांतरण में मदद करेगा। उन्होंने अटारी और केवीके को एक मंच पर लाने के लिए आईवीआरआई की पहल की सराहना की। उन्होंने सुझाव दिया कि अटारी के निदेशक पशुधन आधारित विस्तार सेवाओं के लिए आईसीएआर-आईवीआरआई के साथ परामर्श करके उचित शोधीय मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं क्योंकि केवीके की 30 प्रतिशत गतिविधियों को अब पशु विज्ञान के आधार पर अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने केवीके में पशुधन प्रदर्शन इकाइयों के बुनियादी ढांचे में सुधार पर भी जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि केवीके को पशुपालन क्षेत्र में अधिक एफपीओ बनाने के लिए काम करना चाहिए।
इस अवसर पर आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने अटारी और केवीके के माध्यम से किसानों के क्षेत्र से मूल्यवान प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर दिया, जो वैज्ञानिकों को उनके शोध को प्राथमिकता देने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान को 100 पेटेंट/डिजाइन/कॉपीराइट प्राप्त हुए हैं और 176 अन्य पेटेंट/डिजाइन पंजीकरण के विभिन्न चरणों में हैं। अब तक संस्थान द्वारा विकसित 13 टीकों सहित 46 प्रौद्योगिकियों को 159 उद्योगों को हस्तांतरित कर दिया गया। डा. दत्त इस बात पर जोर दिया कि 75 से अधिक प्रचलनों (पीओपीएस) को विकसित किया गया है और केवीके से आग्रह किया है कि उन्हें ओएफटी/एफएलडी में बढ़ावा दें। उन्होंने डीम्ड यूनिवर्सिटी आईवीआरआई द्वारा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों, प्रमाण पत्र पाठ्यक्रमों और ऑनलाइन डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के रूप में की गई विभिन्न शैक्षणिक पहलों के बारे में भी जानकारी दी, जिनका उपयोग पशुपालन में काम कर रहे विषय विशेषज्ञों की क्षमता निर्माण और ज्ञान विकास के लिए किया जा सकता है। डॉ. दत्त ने पशुपालन के विभिन्न पहलुओं पर आईवीआरआई द्वारा विकसित 64 आईसीटी उपकरणों को अपनाने की भी वकालत की। उन्होंने बताया कि इन आईसीटी उपकरणों का उपयोग पहले ही 134 देशों में 4 लाख से अधिक लोगों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने चिन्हित क्षेत्रों में अटारी/केवीके के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान पर जोर दिया और क्षमता निर्माण में मदद करने का आश्वासन दिया।
बैठक की शुरुआत डॉ. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए बताया कि आईवीआरआई से केवीके की विशिष्ट अपेक्षाओं में कम लागत वाले आवास, स्वच्छ दूध उत्पादन, चारा उत्पादन, चयापचयी रोग प्रबंधन, सुअर, मुर्गी पालन और बकरी के स्थानीय आनुवंशिक संसाधनों में सुधार, जलवायु अनुकूल आवास, दूध और मांस प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक डेयरी, सूकर और मुर्गी पालन के लिए प्रथाओं के पैकेज शामिल हैं।
इस अवसर पर दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम सत्र में आईटीएमयू प्रभारी डा. अनुज चौहान द्वारा संस्थान की प्रौद्योगिकियों तथा पोर्टफोलियो के बारे में जानकारी दी गयी। इसके अतिरिक्त पशु पुर्नरूत्पादन विभाग के डा. मीराज खान द्वारा पशुधन में प्रजनन एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी तथा पशुपोषण विभाग के डा. एल.सी चौधरी द्वारा पशुधन के लिए पोषण सम्बन्धी तथा कैटल एवं फार्म प्रभारी डा. अश्वनी पाण्डे द्वारा पशुधन प्रबन्धन पर जानकारी प्रदान की गयी।
  इस अवसर पर निदेशक अटारी, पटना (जोन-IV), डॉ. डा. अंजनी कुमार; निदेशक अटारी कोलकाता (जोन-V) डॉ. प्रदीप डे, निदेशक अटारी, गुवाहटी (जोन- VI),  तथा निदेशक अटारी (जोन- VII) डा. ए.के. मोहन्ती ने अपने विचार व्यक्त किये
कार्यक्रम का संचालन डा. रोहित कुमार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा. बबलू कुमार द्वारा दिया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक, कैडरेड, डॉ. के. पी. सिंह; संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डॉ. एस.के.मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक, शोध, डॉ. एस.के. सिंह क्षेत्रीय परिसरों (मुक्तेश्वर और बेंगलुरु) के संयुक्त निदेशक, कोलकाता और पालमपुर के प्रभारी  सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक आदि उपस्थित रहे।                                                    बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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