केंद्रीय कर्मचारियों को मिला जोरदार झटका! सरकार ने किया ग्रेच्युटी और पेंशन से जुड़े नियम में बड़ा बदलाव, पढ़े पूरी अपडेट
नई दिल्ली। सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों को जोरदार झटका लग सकता है. दरअशल, सरकार की ओर से ग्रेच्युटी और पेंशन से जुड़े नियम में बदलाव किया गया है. इसमें सरकार ने सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारियों के लिए सख्त चेतावनी जारी की है. अगर कर्मचारी सरकार की इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हैं तो यह उन पर बहुत भारी पड़ सकता है.
हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए जनवरी के महंगाई भत्ते की घोषणा हुई है. वहीं, कुछ समय पहले सरकार की ओर से एक निर्देश भी जारी किया था, जिसमें कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी है. इसके अनुसार अगर वर्कस्पेस पर कोई भी कर्मचारी कोताही करता पाया गया तो उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा, जिसके तहत उसकी पेंशन और ग्रेच्युटी रोकी जा सकती है. ऐसे में नियम को ध्यान से पढ़ें और इसे फॉलों भी करें. सरकार ने इस संबंध में पिछले साल नवंबर 2022 को नोटिस जारी किया था. इसमें केंद्र सरकार के कर्मचारियों को चेतावनी दी गई थी कि अगर कोई कर्मचारी नौकरी पर काम में लापरवाही करता है तो रिटायरमेंट के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ सकती है.
सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल 2021 के तहत सरकार ने नोटिस जारी किया. इसमें कहा गया है कि अगर कोई केंद्रीय कर्मचारी नौकरी के दौरान कोई गंभीर अपराध या लापरवाही करते हुए पाया जाता है तो रिटायरमेंट के बाद उनकी ग्रेच्युटी और पेंशन रोक दी जाएगी. दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के निर्देश संबंधित डिपार्टमेंट्स को दिए जा चुके हैं.
रिटायर्ड कर्मचारी के अप्वाइंटिंग अथॉरिटी में शामिल रहे प्रेसीडेंट को, संबंधित मंत्रालय या विभाग से जुड़े सचिव, जिसके तहत रिटायर होने वाले कर्मचारी की नियुक्ति हुई हो और ऑडिट और अकाउंट विभाग से रिटायर कर्मचारी को CAG को दोषी कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद पेंशन और ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार है. अगर नौकरी के दौरान कर्मचारियों के खिलाफ कोई विभागीय या न्यायिक कार्रवाई हुई है तो इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को देना जरूरी होगा.
इस स्थिति में भी लागू होगा नियम
कोई कर्मचारी रिटायर होने के बाद फिर से संविदा पर नियुक्त हुआ है.
रिटायर कर्मचारी पेंशन या ग्रेच्युटी ले चुका है, उसके बाद वो दोषी पाया जाता है तो उससे पूरी या आंशिक राशि वापस ली जा सकती है.
नियमों के अनुसार ऐसी स्थिति में किसी भी अथॉरिटी को अंतिम आदेश देने से पहले यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन से सुझाव लेना होगा. वहीं, किसी भी मामले में जहां पेंशन रोकी या निकाली जाएगी, उसमें न्यूनतम राशि 9000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए.