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टिल्लू हत्याकांड में सनसनीखेज खुलासा, हमलावरों ने जेल में ऐसे बनाए हथियार…

नई दिल्ली। दिल्ली की तिहाड़ जेल में टिल्लू ताजपुरिया की हत्या की साजिश को इस तरह से रचा गया था कि किसी को कानों कान इसकी भनक नहीं लग सके, इसलिए हमलावरों ने जेल में ही उसकी हत्या के लिए हथियार तैयार किए।

जांच में पता चला है कि हमलावरों ने पहली मंजिल की बैरक में लगे एग्जास्ट फैन और लोहे की जाली को निकालकर उससे हथियार बनाया। उसकी लोहे की पत्ती को घिसकर चाकू और सुआ तैयार किया।

टिल्लू की हत्या के मामले की जांच स्पेशल सेल ने शुरू कर दी है। जांच में पता चला कि जिस लोहे की जाली को तोड़कर हमलावर बाहर निकले, वह काफी पुरानी हो चुकी थी। जाली इस जगह पर लगी थी, जो सीसीटीवी कैमरे की जद में नहीं आ रही थी। इसी का फायदा उठाकर हमलावरों ने धीरे-धीरे जाली को काटना शुरू कर दिया।

हमलावरों ने यह काम टिल्लू के जेल में आने के बाद शुरू किया। जब उन्हें पता चला कि दबाव देने पर जाली टूट जाएगी तो उन लोगों ने उसे काटना बंद कर दिया। साथ ही हथियार को घिस-घिसकर नुकीला बनाया। उसके बाद हमलावर इस बात की रेकी करने लगे कि टिल्लू कब अकेले रहता है।

कई दिन तक रेकी करने पर उन्हें पता चला कि सुबह के वक्त सेल से निकाले जाने के दौरान हमला किया जा सकता है। घटना वाले दिन टिल्लू के अपने सेल से निकलने से पहले ही हमलावरों ने जाली को तोड़ दिया और बाहर निकलकर ऐसे जगह पर पहुंच गए, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे।

आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि जितेंद्र गोगी की हत्या के बाद से ही उसके गैंग के बदमाश टिल्लू की हत्या करना चाहते थे, लेकिन हाई सिक्योरिटी सेल में बंद होने की वजह से उसकी हत्या नहीं कर पा रहे थे। जिस दौरान गोगी की हत्या की गई, उस दौरान टिल्लू मंडोली जेल में बंद था। उसने वहीं से गोगी की अदालत में पेशी के दौरान हत्या करने की साजिश रची।

तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद हाई सिक्योरिटी सेल में बंद कैदियों की सुरक्षा के लिए त्वरित प्रतिक्रिया टीम (क्यूआरटी) का गठन किया गया है। भविष्य में जेल में ऐसी घटना न हो इसके लिए गठित क्यूआरटी टीम 24 घंटे जेल में निगरानी करेगी।

जेल के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस क्यूआरटी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मियों के साथ दिल्ली जेल के कर्मचारियों को शामिल किया गया है। एक जेल में दो क्यूआरटी होगी। जिसमें एक टीम की हाई सिक्योरिटी सेल में तैनात होगी जबकि दूसरी टीम पूरे जेल की निगरानी करेगी।

यह व्यवस्था तिहाड़ के 14 जेलों में की गई है। टीम में सात से आठ कर्मियों को शामिल किया गया है। इनके पास बॉडी प्रोटेक्टर के साथ साथ लाठी, स्प्रे, इलेक्ट्रिक शॉक वाले डंडे होंगे। जिससे वह आपात काल में कैदियों को काबू कर सकेंगे। इनकी तैनाती होने से कैदियों के बीच होने वाली किसी भी लड़ाई व खून-खराबे पर काबू पाया जा सकेगा।

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