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देश में गर्मी ने जुलाई में तोड़ा 122 साल का रिकॉर्ड, 1901 के बाद इतना गर्म रहा यह महीना

नई दिल्ली: पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में जुलाई का महीना पिछले 122 सालों में सबसे गर्म रहा है। इस दौरान इस क्षेत्र में बारिश भी कम रिकॉर्ड की गई। औसतन अधिकतम तापमान 33.75 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 2.30 डिग्री अधिक है। इसके चलते लोगों को गर्मी का सामना करना पड़ा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की मासिक जलवायु रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में जुलाई में औसत तापमान 29.57 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.64 डिग्री अधिक था। उत्तर पश्चिम भारत में औसत न्यूनतम तापमान 1901 के बाद तीसरा सबसे अधिक था। पिछले महीने उत्तर पश्चिम भारत में न्यूनतम तापमान 23.56 डिग्री सेल्सियस के सामान्य तापमान की तुलना में 24.3 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे में स्पष्ट होता है कि अच्छी बारिश के बाद भी जुलाई के तापमान में खासा इजाफा देखा गया है।

रिकॉर्ड बारिश के बाद गर्मी
आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में जुलाई में यह गर्मी असम और मेघालय में जून में हुई 122 वर्षों में रिकॉर्ड बारिश (858.1 मिलीमीटर) के बाद आई है। दोनों राज्यों में यह बारिश 1966 में दर्ज 789.5 मिलीमीटर के पहले के रिकॉर्ड से कहीं अधिक है। जुलाई में यहां औसत अधिकतम तापमान 33.75 डिग्री सेल्सियस था, जो सामान्य से 2.30 डिग्री अधिक रहा। इसी तरह औसत न्यूनतम 25.40 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 0.99 डिग्री अधिक रहा।

जुलाई में 17 प्रतिशत अधिक बारिश हुई
पूरे देश में जुलाई में 327.7 एमएम बारिश हुई, जो लंबी अवधि के औसत से 17 प्रतिशत अधिक है। यह 2001 के बाद दूसरी सबसे अधिक बारिश है। इससे पहले 2005 में हुई थी। वहीं, दक्षिण प्रायद्वीप में साल 1901 और 1961 के बाद दूसरी सबसे अधिक बारिश है। इसी तरह 1944, 1932, 1942 और 1956 और 1901 के बाद से मध्य भारत में पांचवीं सबसे अधिक बारिश है। इस दौरान पौड़ी, पठानकोट, श्रीनगर एवं भीलवाड़ा सहित 12 मौसम विज्ञान केंद्रों ने सबसे अधिक बरसात रिकॉर्ड की।

असमान बारिश की बात
मौसम विभाग की इस रिपोर्ट में जुलाई में असमान बारिश के पैटर्न की बात सामने आई है। इसने पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में धान क्षेत्र को प्रभावित किया है। दक्षिण-पश्चिम मानसून में अत्यधिक असमान बारिश धान और अन्य फसलों की खेती को प्रभावित करती है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदानी इलाकों में इसका सबसे ज्यादा असर रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र में 1 जून से मानसून की बारिश सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक थी।

पूर्वी-पूर्वोत्तर भारत में 15 प्रतिशत कम रही बारिश
5 अगस्त तक देशभर में औसत से 6 प्रतिशत अधिक बारिश होने के बाद पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश की कमी रही है। इस दौरान प्रायद्वीपीय भारत में 35 प्रतिशत, मध्य भारत में 10 प्रतिशत और उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से दो प्रतिशत अधिक बारिश हुई, लेकिन पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 15 प्रतिशत कम बारिश हुई। इसी तरह पश्चिम बंगाल में 46 प्रतिशत, झारखंड 47 प्रतिशत, बिहार 33 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 42 प्रतिशत कम बारिश हुई।

कम बारिश की वजह से रहा अधिक तापमान: श्रीजीत
पुणे में जलवायु निगरानी और भविष्यवाणी समूह के प्रमुख ओपी श्रीजीत ने कहा, ‘पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में जुलाई में सबसे अधिक तापमान रहा है। इसका कारण क्षेत्र में बारिश की बड़ी कमी रहना है। इस क्षेत्र में मानसून की ट्रफ लाइन के अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण में होने के कारण बारिश की कमी रही। उन्होंने कहा, इस स्थिति के कारण मध्य भारत और पश्चिमी तट पर अधिक बारिश हुई, लेकिन पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र सूखा रहा गया।

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