उत्तर प्रदेश

मिशन शिक्त 4.0 पर दत्तक ग्रहण पर विचार-विमर्श व बाल अधिकार पर दी गई जानकारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन को समर्पित मिशन शक्ति के चौथे चरण का शुभारंभ किया है। उनका मंशा है कि कार्यक्रम मां दुर्गा के प्रति सम्मान और मातृ शक्ति के प्रति एक नए विश्वास का प्रतीक है। 2020 में महिला संबंधी अपराधों पर लगाम लगाने के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। मिशन शक्ति के नाम से शुरू हुआ अभियान सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की थीम पर आगे बढ़ा है। पूरे प्रदेश में मिशन शक्ति का कार्यक्रम लोकपिय हुआ है। महिला अपराध पर लगाम लगाने में कार्यक्रम से बहुत सफलता मिली। भारत सरकार ने मिशन शक्ति अभियान को सराहा। केंद्रीय स्तर पर महिला सुरक्षा के लिए चलाए जाने वाले अभियान का नाम भी मिशन शक्ति रखा गया। उन्होंने बताया कि मिशन शक्ति के चौथे संस्करण का शुभारंभ कार्यक्रम जागरूकता फैलाने के लिए है। अक्सर देखने को मिलता कार्यक्रम के बारे में संबंबिध पक्ष को नहीं पता होता। इसलिए जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया है। पूरे प्रदेश के सभी जिलों में कार्यक्रम हो रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण सप्ताह 16-22 अक्टूबर तक मनाया जा रहा है। इस पर कई कार्यक्रम किए जा चुके हैं। राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण सप्ताह का मुख्य उद्देश्य गोद लेने के बारे में जागरूकता के स्तर में सुधार करना है। आज इसी क्रम में राम कृष्ण पब्लिक स्कूल रायबरेली में मिशन शक्ति के बारे में इसके साथ ही कन्या सुमंगला योजना, बाल सेवा योजना एवं अन्य सरकार की योजनाओं की जानकारी दी गई। इसके साथ ही दत्तक ग्रहण की जानकारी दी गई। वहीं बीबीएस स्कूल के शिक्षकों के साथ विचार-विमर्श (दत्तक ग्रहण) किया गया जिसमें बच्चों का दत्तक ग्रहण, अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालकों के लिए कुटंब के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए इस अधिनियम के उपबंधों और उसके अधीन बनाए गए नियमों तथा प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार किया जाएगा। एक नातेदार से दूसरे नातेदार द्वारा किसी बालक का दत्तक ग्रहण धर्म को विचार में लाए बिना, इस अधिनियम के उपबंधों और प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के अनुसार किया जा सकता है। इस अधिनियम की कोई बात हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधिनियम, 1956 के उपबंधों के अनुसार किए गए बालकों के दत्तकग्रहण को लागू नहीं होगी। इसके साथ ही भावी दत्तक माता-पिता बालक को अच्छा पालन पोषण प्रदान करने के लिए उसका दत्तक ग्रहण करने के लिए शारीरिक रूप से योग्य, वित्तीय रूप से सुदृढ़, मानसिक रूप से सचेत और अत्यंत प्रेरित होंगे। दंपत्ति की दशा में, दत्तक ग्रहण के लिए पति-पत्नी दोनों की सहमति आवश्यक होगी। कोई एकल या विच्छिन्न विवाह व्यक्ति भी मानदंडों को पूरा करने के अधीन रहते हुए तथा प्राधिकरण द्वारा विरचित दत्तक ग्रहण विनियमों के उपबंधों के अनुसार दत्तक ग्रहण कर सकता है आदि पर चर्चा की गई।
इस अवसर पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ओजस्कर पाण्डेय, सदस्य मिलिंद कुमार, पूजा शुक्ला, महिला थाने की पुष्पा सिंह, प्रज्ञा, श्रद्धा, अर्चना, स्कूल के प्रबंधक जेपी त्रिपाठी, अजय, विजय एवं मेनका त्रिपाठी व सीमा, विवेक, आरती, शिवांगी, शवा, सैफ, अभिषेक उपस्थित रहे।

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