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अदाणी समूह को किन-किन बैंकों ने दिया है कितना कर्ज, क्या आने वाले वक्त में इनका संकट भी बढ़ेगा?

नई दिल्ली. दुनिया के जाने-जाने उद्योगपति गौतम अदाणी लगातार विवादों में हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अदाणी की दौलत आधी से भी कम हो गई है। हर रोज अदाणी समूह के शेयर्स में गिरावट हो रही है। अदाणी की नेटवर्थ में दस दिन में करीब 65 अरब डॉलर की कमी आ चुकी है। वह रईसों की लिस्ट में फिसलकर टॉप 15 से भी बाहर हो गए हैं।

दो दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने भी देश की सभी बैंकों से अदाणी समूह को लेकर जानकारी मांगी थी। RBI ने पूछा था कि किस बैंक ने अदाणी समूह को कितना कर्ज दिया है और किस आधार पर दिया है? अब तक दो बैंकों ने आरबीआई के साथ जानकारी साझा की है। इसमें भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक शामिल हैं। आइए जानते हैं आखिर अदाणी समूह को किस बैंक ने कितना कर्ज दिया है? समूह पर कुल कितना कर्ज है? क्या इसका असर बैंकों की सेहत पर भी हो सकता है?

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI ने शुक्रवार को कहा कि अदाणी समूह में उसका कुल एक्सपोजर 27 हजार करोड़ रुपये का है। जो उसकी पूंजी का 0.88 फीसदी ही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अदाणी समूह की कंपनियों को 2.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 21 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। एसबीआई द्वारा दिए गए कर्ज में इसकी विदेशी इकाइयों में 200 मिलियन डॉलर शामिल है। SBI के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने ब्लूमबर्ग को बताया कि अदाणी समूह की सभी कंपनियां लोन की सारी किश्त समय पर चुका रहीं हैं। बैंक ने अब तक जो कुछ भी उधार दिया है, उससे फिलहाल कोई दिक्कत नहीं है।

वहीं, PNB ने अदाणी समूह की कंपनियों को करीब सात हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। इनमें ढाई हजार करोड़ रुपये हवाई अड्डे से जुड़े प्रोजेक्ट्स को लेकर दिया गया है। इसी तरह बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी शुक्रवार को कहा कि अदाणी समूह को दिया गया लोन RBI की तय गाइलाइन का एक चौथाई है।

जम्मू कश्मीर बैंक ने भी शुक्रवार को अदाणी समूह को दिए लोन पर अपना बयान जारी किया। कंपनी ने कहा कि उसका करीब 250 करोड़ रुपये का निवेश अदाणी समूह में है। लेकिन, निवेशकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। बैंक ने दावा किया कि अदाणी समूह को दिए ऋण की वसूली में कोई परेशानी नहीं है। लोन की किश्तें लगातार आ रही हैं। बैंक ने 10 साल पहले अदाणी समूह के दो प्रोजेक्ट्स को करीब 400 करोड़ का लोन दिया था। जो अब घटकर 250 करोड़ के करीब रह गया है।

वैश्विक ब्रोकरेज फर्म CSLA के मुताबिक, अदाणी समूह पर कुल दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। बीते तीन साल में ही अदाणी समूह पर कर्जे की रकम दोगुनी हो गई है। कुल कर्जे में भारतीय बैंकों की हिस्सेदारी 40 फीसदी से भी कम यानी 80 हजार करोड़ से भी कम है। इसमें भी प्राइवेट बैंकों से लिया गया कर्ज का प्रतिशत 10 फीसदी से भी कम है। वैश्विक फर्म जेफरीज के मुताबिक, बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज तय सीमा का भीतर ही है।

अदाणी समूह को लेकर हो रहे विवाद के बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त सचिव टीवी सोमनाथन और DIPAM सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय तक का बयान सामने आ चुका है। सभी ने इस मुद्दे पर बयान देकर लोगों को भरोसा दिलाया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, LIC और SBI जैसे सरकारी बैंक और वित्तीय संस्थान पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके साथ ही SBI और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे सरकारी बैंकों के टॉप मैनेजमेंट ने भी इस मुद्दे अपना पक्ष रखकर बाजार में फैली बेचैनी को कम करने की कोशिश की है।

वित्त मंत्री ने एक टीवी चैनल से कहा कि न सिर्फ भारतीय बैंकों और फाइनेंशियल सेक्टर की बुनियाद बेहद मजबूत है, बल्कि उनका रेगुलेशन भी बेहतर ढंग से किया जाता है। उन्होंने कहा कि किसी एक मसले की दुनिया भर में भले ही कितनी भी चर्चा हो रही हो, उसे भारत के फाइनेंशियल मार्केट के गवर्नेंस का प्रतीक नहीं कहा जा सकता। वित्त मंत्री ने कहा कि इस बारे में एसबीआई और एलआईसी दोनों ने विस्तृत बयान जारी करके साफ कर दिया है कि उनका एक्सपोजर अधिक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनका एक्सपोजर लिमिट के भीतर ही है और अपने निवेश पर उन्हें मुनाफा हो रहा है।

 

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