आईवीआरआई के जैव रसायन विभाग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
बरेली ,16 दिसम्बर। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के जैव रसायन विभाग द्वारा स्वर्ण जयन्ती समारोह के अवसर पर ’’एक स्वास्थ्य के लिए मल्टीओमिक्सः जैव चिकित्सा अनुसंधान में चुनौतियाँ एवं संभावनाएं ’’ विषय पर दो दिवसीय एस.वी.बी.बी.आई के सप्तम वार्षिक सम्मेलन एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का कल समापन हो गया। समापन अवसर पर दो दिनों में पढ़े गये शोध पत्रों में से उत्तम शोध पत्रों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर सोसाइटी द्वारा सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार डा. वरखा गुप्ता एवं सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक का पुरस्कार डा. वरूणा को दिया गया। इस अवसर पर विभाग के पूर्व विभागाध्यक्षों स्व. डा.एल.एन. सिंह (मरणोपरांत) डा. एस.के.एल. टण्डन, डा. अशोक कुमार, डा. भास्कर शर्मा, डा. पारितोष जोशी, डा. मीना कटारिया एवं डा. उग्रसेन सिंह को भी सम्मानित किया गया।
समापन अवसर पर मुख्य अतिथि डा. मन मोहन सिंह. चौहान, कुलपति, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, पंतनगर ने सर्वप्रथम आईवीआरआई से जुड़े हुये अपने अनुभव साझा किये। अपने उद्बोधन में डा. चौहान ने कहा कि जैव रसायन एवं जैव प्रौद्योगिकी की समझ किसी भी तकनीकी विकास एवं खोजों में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देता है। उन्होंने उदाहरण स्वरूप एनडीआरआई द्वारा विकसित हैण्ड गाइडेड क्लोनिंग एवं ओवम पिकअप तकनीक का जिक्र किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से 3पी (प्रोडक्ट, पेटेन्ट तथा पब्लिकेशन) को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने भैंस में साइलेंट हीट और प्रिगनेंसी डायग्नोसिस की समस्या को जटिल बताया तथा जिस पर खोज और तकनीकी विकास होना बाकी है।
संस्थान के निदेशक एवं कुलपति डा. त्रिवेणी दत्त ने संस्थान के पूर्व वैज्ञानिकों और उनके शोध कार्यों की प्रंशसा की। डा. दत्त ने कहा कि न केवल संस्थान की परियोजनाओं में बल्कि शिक्षण के क्षेत्र में, जैव रसायन विभाग से संस्थान के सबसे ज्यादा विद्यार्थियों को लाभ प्राप्त होता है। नयी शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए आधारभूत संस्थान जैसे कि कॉलेज ऑफ बेसिक साइंस की स्थापना पर बल दिया। उन्होंने आधारभूत शिक्षा को देश के विकास एवं सम्पन्नता में प्रमुख स्थान दिया और कहा कि अच्छी शिक्षा नीति और राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों द्वारा गुणवत्तायुक्त एवं बहुपयोगी पशु अनुसंधान के माध्यम 2025 तक 5 ट्रिलियन एकोनामी को प्राप्त करने में सहयोगी होंगी। डा. त्रिवेणी दत्त ने पशु अनुसंधान के क्षेत्र में अन्तराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जिससे गुणवत्तायुक्त जैव उत्पाद एवं सेवायें किसानों को उपलब्ध कराया जा सके।
दो दिवसीय अन्तराष्ट्रीय संगोष्ठी की प्रगति आख्या प्रस्तुत करते हुए सचिव डा. शुभाशीष बटाब्याल ने बताया कि इस संगोष्ठी में देश विदेश के कुल 230 प्रतिभागियों ने भाग लिया तथा इस दौरान 6 लीड पेपर, 12 आमंत्रित व्याख्यान सहित कुल 68 ओरल प्रस्तुति तथा 70 पोस्टर 6 तकनीकी सेशन के अन्तर्गत प्रस्तुत किये गये। इन छ तकनीकी सेशनों में सर्वश्रेष्ठ 03-03 प्रस्तुतियों को पुरस्कृत किया गया तथा सोसाइटी द्वारा सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार डा. वरखा गुप्ता एवं सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक का पुरस्कार डा. वरूना को दिया गया।
समापन समारोह में आयोजन सचिव डा. मनीष महावर प्रधान वैज्ञानिक जैव रसायन विभाग ने उपस्थित सभी गणमान्य लोगों का धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी के सफल संचालन में जैव रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राघवेन्द्र सिंह, डा. मोहनी सैनी, डा. प्रवीण सिंह, डा. संजीव भूरे, डा. अजय कुमार, डा. करूणा, डा. अमीर सामल, डा. मुकेश डा. चन्द्रमोहन तथा डा. मीता सक्सेना का सराहनीय योगदान रहा। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट