आईवीआरआई में आयोजित 21 दिवसीय शीतकालीन कार्यशाला का आयोजन
बरेली,14फरवरी। पशुओं के स्वास्थ्य को और बेहतर बनाने तथा नये जनरेशन के टीके एवं नैदानिकों को प्रयोगशाला से किसानों तक पहुँचाने के उद्देश्य से भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शिक्षा विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 21 दिवसीय शीतकालीन कार्यशाला ”डवलपमेंट एण्ड ट्रांसलेशन ऑफ न्यू जनरेशन वैक्सीन एण्ड डायग्नोस्टिक फार एनीमल हेल्थ फ्राम लैब टू लैण्ड“ का कल समापन हो गया। समापन अवसर पर 20 प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि तथा संस्थान निदेशक द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किये गये।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं एनबीएजीआर के निदेशक डा. बी.पी. मिश्रा ने आईवीआरआई के गौरवमयी इतिहास के बारे में कहा कि संस्थान ने पशुरोगों के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है जैव प्रौद्योगिकी विभाग के बारे में बताते हुये उन्होंने कहा कि विभाग ने कोविड काल में ऑन लाइन तथा हाइब्रिड माध्यम से ट्रेनिंग का आयोजन किया तथा इस विभाग ने नई टीके एवं नैदानिकों को विकसित किया। उन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ”डवलपमेंट एण्ड ट्रांसलेशन ऑफ न्यू जनरेशन वैक्सीन एण्ड डायग्नोस्टिक फार एनीमल हेल्थ फ्राम लैब टू लैण्ड को बहुत उपयोगी बताया तथा इसके लिए आयाजकों को बधाई दी।
संस्थान निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि यह शीतकालीन कार्यशाला अत्यन्त महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित की जा रही है जिसमें मुख्य रूप से पशुओं के विभिन्न रोगों, टीकों एवं नैदानिकों के निमार्ण में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण प्रतिभागियों के लिए तो उपयोगी होते ही हैं साथ ही साथ इन प्रशिक्षणों के माध्यम से हमें अपनी विकसित तकनीकों को प्रदर्शन करने का मौका मिलता है तथा आपसी संवाद के माध्यम से शोध के नये क्षेत्रों में कार्य करने का मौका मिलता है। डा. दत्त ने बताया कि संस्थान शीघ्र ही ऑनलाइन तथा दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन उन हितधारकों के लिए करने जा रहा है जो संस्थान तक नहीं पहुंच पाते। उन्होंने संस्थान में डिजीटली इन्फ्रास्टक्चर विकसित करने पर भी बल दिया। डा. त्रिवेणी दत्त ने नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत चलाये जा रहे कोर्स के बारे में भी उपस्थित गणमान्य को जानकारी दी।
पाठ्यक्रम निदेशक डा. सोहिनी डे प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुये कहा कि इस शीतकालीन कार्यशाला के पाठ्यक्रम को चार सत्रों में बांटा गया जहाँ प्रथम सत्र में बायोइन्फ्रारमेटिक्स टूल डिजाइनिंग पर द्वितीय सत्र में जनरेशन एवं इव्यूलेशन आॅफ डायग्नोस्टिक एण्टीजन एण्ड वैक्सीन कंडीडेट तथा तृतीय सत्र में वेलेडिशेन आफ जनरेटेड टेक्नोलोजीज तथा चतुर्थ सत्र में एक्रीडेशन आफ रिसर्च टूल, आईपीआर इश्यु तथा टेक्नोलाजी टांसफर के बारे में विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की गयी तथा इस दौरान प्रतिभागियों को संस्थान के मुक्तेश्वर परिसर का भी भ्रमण कराया गया।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा पाठ्यक्रम समन्वयक डा. सी मदन मोहन ने बताया कि इस तीसरा शीतकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम है। पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्ष 2013 में आयोजित किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों को 26 व्याख्यान तथा 14 प्रयोगात्मक कराये गये। इसके अतिरिक्त उद्योग जगत से जु़ड़े उद्यमियों ने भी अपने 03 व्याख्यान प्रस्तुत किये। इसके अतिरिक्त एक ऑनलाइन व्याख्यान यूएमबीआई, बल्टीमोर, अमेरिका के प्रोफेसर विक्रम वखारिया द्वारा दिया गया।
कार्यक्रम का संचालन डा. फिरदौस द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डा. आर सरवनन द्वारा दिया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक, कैडराड डा.के.पी. सिंह, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डा. एस.के. मेंदीरत्ता सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक तथा अधिकारीगण उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट