आईवीआरआई में कृत्रिम गर्भाधान पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन
बरेली, 22 दिसम्बर। आईवीआरआई रोजगार परख और बेरोजगारी उन्मूलन की दिशा में ग्रामीण साक्षर बेरोजगार युवाओं को रोजगार परख प्रशिक्षण दे कर उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहा है। इस क्रम में आईवीआरआई के पशु पुनरूत्पादन विभाग द्वारा कृत्रिम गर्भाधान पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों से आये 18 प्रशिक्षणार्थियों के लिए एक महीने का कृत्रिम गर्भाधान पर प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर बोलते हुये संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि इस प्रशिक्षण से युवाओं के कौशल विकास में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में भी यह संस्थान इस तरह के स्वरोजगार उन्मुख प्रशिक्षण को देता रहेगा।
डा. एस.के. मंेदीरत्ता, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक ने बताया इस प्रशिक्षण के पश्चात आईवीआरआई के साथ आपका नाम जुड़ गया है। हमें आशा है कि आप किसानों के पशुओं का गुणवत्तापूर्ण उपचार करेंगे तथा संस्थान के तकनीकियों का प्रचार-प्रसार करेंगे।
पाठ्यक्रम के निदेशक एवं पशुपुनरूत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एम.एच खान ने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान बहुत महत्वपूर्ण इकाई है जिससे दूध उत्पादन में क्रांति लाई है। इन प्रशिक्षणार्थियों को पशुपालन से सम्बन्धित विभिन्न आयामों को बहुत ही सूक्ष्मता के साथ समझाया गया। इसमें मुख्यतः कृत्रिम गर्भाधान के विभिन्न पहलुओं जैसे स्ट्रेस डिटेक्शन, सही समय पर कृत्रिम गर्भाधान और वीर्य का रखरखाव तथा पशुओं के खान पान और गोबर एवं गोमूत्र का समुचित प्रबन्धन विषय पर प्रशिक्षण दिया गया।
पशु पुनरूत्पादन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. हरेन्द्र कुमार ने बताया कि सीमेन को गुणवत्ता वाले सीमेन भंडार से क्रय करें तथा क्रायोकेन में लिक्विड नाइट्रोजन भराते रहें ।
कार्यक्रम का संचालन पशु पुनरूत्पादन विभाग की छात्रा डा. रेनु, डा. बृजेश तथा डा लोकाव्या द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन इसी विभाग के डा. बृजेश कुमार द्वारा दिया गया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट