आईवीआरआई में डीएसटी- एसईआरबी द्वारा प्रायोजित उच्च – स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
बरेली, 04अप्रैल। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में डीएसटी-एसईआरबी द्वारा प्रायोजित “कृषि और पालतू जानवरों में प्रजनन स्वास्थ्य और विकारों की नैदानिक परिशुद्धता में उन्नत प्रजनन अल्ट्रासोनोग्राफी तकनीक” विषय पर आयोजित एक उच्च स्तरीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में देश के 09 राज्यों में पशु चिकित्सा स्त्री रोग एवं प्रसूति, शल्य चिकित्सा और एलपीएम में मास्टर या डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले 25 प्रशिक्षुओं ने हाई-एंड कार्यशाला में भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. हरेंद्र कुमार ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया और प्रारंभिक गर्भावस्था के निदान, बांझपन जांच और प्रजनन के क्षेत्र में बुनियादी अनुसंधान के लिए वर्तमान युग में उन्नत अल्ट्रासोनोग्राफी तकनीकों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे नियमित नैदानिक ज्ञान और कौशल का उपयोग करें और एक सफल चिकित्सक बनने के लिए योग्यता विकसित करें।
पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन अनुभाग के प्रभारी डॉ. मुकेश सिंह ने एलपीएम अनुभाग की गतिविधियों, हाल की अनुसंधान उपलब्धियों और एलपीएम अनुभाग में नस्ल पंजीकरण पर प्रकाश डाला। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से इस कार्यशाला के दौरान सीखी गई तकनीकों और ज्ञान को दोहराने का आग्रह किया।
इस अवसर पर पशु पुनरुत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष और विशिष्ट अतिथि डॉ. एम.एच. खान ने प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि वे सहायक प्रजनन तकनीकों, बांझपन प्रबंधन और फार्म जानवरों में प्रारंभिक गर्भावस्था निदान से संबंधित नैदानिक अभ्यास और अनुसंधान कार्य में अल्ट्रासोनोग्राफी तकनीकों का उपयोग करें। उन्होंने आज के वैज्ञानिक युग में कृषि पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने में उच्च स्तरीय तकनीकों के महत्व और भूमिका पर भी जोर दिया।
पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. एम. के. पात्रा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रगति आख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला के प्राथमिक और उन्नत सोनोग्राफी तकनीकों को कवर करने वाले बड़े और छोटे दोनों जानवरों में प्रजनन अल्ट्रासोनोग्राफी में हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया। प्रतिभागियों को बेसिक रेक्टल परीक्षा तकनीक, गर्भावस्था निदान, बांझपन जांच, हेमेटो-बायोकैमिकल ऐसे, हिस्टोपैथोलॉजिकल तकनीक, एलिसा और रेडियोइम्यूनोएसे आदि पर भी प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य 15 विभिन्न पशु चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रतिभागियों को व्यावहारिक शिक्षण अनुभव प्रदान करना था। प्रशिक्षण को विशेष रूप से प्रजनन अल्ट्रासोनोग्राफी के बुनियादी पहलू में कौशल और योग्यता विकसित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। कार्यशाला ने युवा मस्तिष्क को संवेदनशील बनाने के लिए एक मंच प्रदान किया ताकि वे अपने नैदानिक अभ्यास और स्नातकोत्तर अनुसंधान गतिविधियों में इन शिक्षण को लागू कर सकें। उन्होंने बताया कि कार्याशाला के 10 दिनों के दौरान 15 सिद्धांत व्याख्यान और 20 व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए। क्षेत्रीय स्टेशन, आईवीआरआई और अन्य विश्वविद्यालयों से आमंत्रित संकायों द्वारा चार व्याख्यान दिए गए।
सत्र का समापन डॉ. अयोन तारफदार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. अभिषेक सक्सेना, डॉ. हरिओम पांडे, डॉ. बृजेश कुमार, डॉ अश्वनी कुमार पांडे तथा डॉ ए.के. एस. तोमर आदि उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के Facebook पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें...
-------------------------