आखिर क्यों दुनिया भर में केले का आकार होता है टेढ़ा, वजह जानकर चकरा जायेगा सिर
नई दिल्ली। आपने आज तक ना जाने कितने ही केले खाए होंगे. केला ही वो फल है, जो साल के 12 महीने मिलता है. इस फल को खाने के बहुत से फायदे हैं. इसमें आपको प्रचुर मात्रा में फाइबर मिल जाता है. इसके अलावा केला खाने से आपका डायजेस्टिव सिस्टम भी ठीक रहता है. आज कल जिम जाने वाले लोग जिम से आने के बाद सबसे पहले केले का ही सेवन करते हैं, क्योंकि यह वजह बढ़ाने में भी मदद करता है. इसके अलावा लोग इसका शेक बनाकर पीना भी पसंद करते हैं.
आपने पूरी जिंदगी में ना जाने कितनी बार ही केले को देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश करी है कि आखिर केले का आकार टेढ़ा क्यों होता है? क्यों आज तक कभी आपको सीधे केले देखने को नहीं मिले? अगर आप इसका जवाब नहीं जानते, तो कोई बात नहीं. आज हम आपको इसके केले के टेढ़े होने की असली वजह बताएंगे.
आप इतना तो जरूर जानते होंगे कि जब भी केला अपना पेड़ में उगता है, तो वह गुच्छों में उगता है. लोकल भाषा में इसके पूरे गुच्छे को खानी कहते हैं और यह जमीन की तरफ लटक रहा होता है. अब आप जब केले को उस समय देखेंगे, तो पाएंगे कि इसका आकार उस समय सीधा होता है. लेकिन साइंस में एक प्रवृत्ति का उल्लेक किया गया है, जिसे नेगेटिव जियोट्रोपिजम कहा जाता है. इसके कारण कुछ पेड़ के पत्ते व फल बड़े होने पर सूरज की तरफ मुड़ने लगते हैं. नेगेटिव जियोट्रोपिजम का असर केले के पेड़ों पर भी होता है और इसी प्रवृत्ति के कारण वे धीरे-धीरे घूमते हुए सूरज की तरफ बढ़ने लगते हैं और इसी के कारण उसना आकार टेढ़ा या हल्के C टाइप का हो जाता है.
बता दें कि पहले केले के पेड़ बरसाती वनों में उगा करते थे. लेकिन केले की पैदावार उतनी अच्छी नहीं हुआ करती थी. इसका सबसे अहम कारण था कि बरसाती वनों में केलों को सही मात्रा में धूप नहीं मिल पाती थी. इसलिए किसान ऊपरी क्षेत्रों में आए और उन्होंने वहां केले के पेड़ उगाए, लेकिन नेगेटिव जियोट्रोपिजम प्रवृत्ति का असर यहां सबसे पहले देखने को मिला, जिस कारण केले का आकार टेढ़ा हो गया और इसी लिए आज आपको केले टेढ़े आकार के नजर आते हैं.