एनटीपीसी विंध्याचल का विंध्य क्लब द्वारा “दिल से डांडिया” उत्सव का किया गया आयोजन
विन्ध्य नगर, देश को असंख्य रंगों में रंगने वाले नवरात्रि उत्सव के अनुरूप, एनटीपीसी विंध्याचल विंध्य क्लब द्वारा 19 अक्टूबर को विंध्य क्लब परिसर में डांडिया नाइट “दिल से डांडिया” उत्सव का आयोजन किया गया।
चमचमाती रोशनी और हर रंग के दुपट्टों से सुसज्जित विंध्य क्लब का नृत्य पंडाल देखने लायक था। पंडाल की शोभा लगभग 200 प्रतिभागियों ने बढ़ाई। सभी बेहतरीन पारंपरिक परिधानों में सजे हुए थे, जो विंध्य क्लब के पूरे परिसर को इंद्रधनुषी रंग में सुशोभित कर रहा था।
डांडिया उत्सव की शुरुआत देवी दुर्गा की असीम सुंदरता और साहस की प्रशंसा करते हुए एक प्रार्थना प्रदर्शन के साथ हुई। इसके बाद जोड़ों, महिलाओं और बच्चों के विभिन्न समूहों द्वारा मनमोहक डांडिया प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन, जिसे प्रतिभागियों ने घंटों समर्पित अभ्यास के साथ कड़ी मेहनत से तैयार किया था, जिसकी तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहना की गई। जैसे-जैसे रात हुई, पंडाल सभी के लिए खोल दिया गया और उपस्थित लोगों ने डांडिया गीतों की विद्युतीय धुनों पर नृत्य किया, जिससे सभी को एक अविस्मरणीय अनुभव हुआ। एक पेशेवर डीजे, डीजे डैज़लिंग की उपस्थिति ने सभी का उत्साह बढ़ा दिया क्योंकि उसने कई शानदार गाने बजाए। रात को एक रोमांचक तरीके से समाप्त करने के लिए, लकी ड्रा विजेताओं की घोषणा की गई, जिससे कार्यक्रम में चार चाँद लग गया।
इस अवसर पर परियोजना प्रमुख (विंध्याचल) श्री ई सत्य फणि कुमार, अध्यक्षा(सुहासिनी संघ) श्रीमती सरोजा फणि कुमार, महाप्रबंधक(प्रचालन एवं अनुरक्षण) श्री राजेश भारद्वाज, उपाध्यक्षा(सुहासिनी संघ) श्रीमती सुभा भारद्वाज, अन्य गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में सभी बच्चों एवं महिलाओं ने अपने सुंदर नृत्य से कार्यक्रम की सुंदरता बढ़ा दी।
समारोह में उपस्थित सभी लोगों के लिए स्वादिष्ट भोजन एवं स्नैक्स स्टालों की भी व्यवस्था की गई थी जिसका सभी ने भरपूर लुत्फ उठाया।
डांडिया नाइट को एनटीपीसी विंध्याचल द्वारा अपने कर्मचारियों को उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या में एक सहज कार्य-जीवन संतुलन बनाने एवं प्रोत्साहित करने के लिए की गई विभिन्न पहलों में से एक माना जा सकता है।
यह कार्यक्रम को सफल बनाने में विंध्य क्लब समिति के महासचिव श्री वेद प्रकाश एवं उनकी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
रवीन्द्र केसरी