उत्तर प्रदेश

एसआरएमएस मेडिकल कालेज में एडवांस इमेजिंग एंड आईआर कांफ्रेंस आयोजित

बरेली ,28 अप्रैल। किसी भी बीमारी का उपचार उसकी जांचों के बिना बेहद मुश्किल है। जांचों से ही बीमारी की स्थिति पता चलती है और इसी से उपचार सुनिश्चित किया जाता है। जांचों में रेडियोडायग्नोसिस की भूमिका महत्वपूर्ण है। अब आम लोग भी इसके प्रति जागरूक हो रहे हैं और बीमारी के उपचार के लिए खुद ही अल्ट्रासाउंड करा कर विशेषज्ञ के पास जाते हैं। यह रेडियोडायग्नेसिस के प्रति लोगों की बढ़ती जागरुकता को स्पष्ट करता है। इसकी भूमिका आने वाले दिनों में और महत्वपूर्ण होने वाली है। यह निष्कर्ष एसआरएमएस मेडिकल कालेज में हुई एडवांस इमेजिंग एंड इंटरवेंशनल रेडियोलाजी कांफ्रेंस 2024 में निकल कर सामने आया। मेडिकल कालेज के रेडियोडायग्नोसिस विभाग द्वारा यह दो दिवसीय कांफ्रेंस इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (IRIA) की बरेली शाखा के तत्वावधान में शनिवार को आरंभ हुई। प्रदेश स्तरीय इस कांफ्रेंस में कैंसर, हार्ट और महिलाओं की बीमारियों के उपचार में रेडियोडायग्नोसिस की भूमिका पर वर्कशाप के साथ पांच साइंटिफिक सत्र आयोजित किए जाने हैं। इसमें से पहले दिन शनिवार को उद्घाटन सत्र के साथ तीन सत्र हुए। इसमें रेडियोलाजी के विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया।
एडवांस इमेजिंग एंड इंटरवेंशनल रेडियोलाजी कांफ्रेंस 2024 का शनिवार को उद्घाटन एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देवमूर्ति जी ने किया। उन्होंने कहा कि बीमारियों के इलाज में रेडियोडायग्नोसिस की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसमें जितना महत्व अनुभवी विशेषज्ञ का है उतना ही अत्याधुनिक तकनीकों से लैस मशीनों का भी। इसी को ध्यान में रखते हुए एसआरएमएस मेडिकल कालेज की स्थापना के साथ ही रेडियोडायग्नोसिस विभाग संचालित किया जा रहा है। यहां सभी अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं। कई ऐसे उपकरण भी यहां पर हैं जो लखनऊ में एसजीपीजीआई या दिल्ली में ही उपलब्ध होंगे। यहां की जांच रिपोर्ट को टाटा कैंसर सेंटर से लेकर सभी विश्वस्तरीय संस्थानों द्वारा स्वीकार्य हैं। यही हमारी विश्वसनीयता और आपका भरोसा है। आने वाले समय में रेडियोडायग्नोसिस की भूमिका और भी बढ़ने वाली है और हम सबको इसके लिए तैयार होना पड़ेगा। इससे पहले उद्घाटन सत्र में सभी का स्वागत कांफ्रेंस के आर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डा.समीर आर वर्मा ने सभी का स्वागत किया और कांफ्रेंस के साथ ही रेडियोडायग्नोसिस के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पहली बार बरेली क्षेत्र में रेडियोडायग्नोसिस पर कोई स्वतंत्र कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है। इसमें उ.प्र. के साथ ही राजस्थान, उत्तराखंड के रेडियोलाजी विशेषज्ञ शामिल हुए हैं। नाइजीरिया से भी रेडियोलाजी विशेषज्ञ के भी शामिल होने से कांफ्रेंस का महत्व और भी बढ़ गया है।
एसआरएमएस मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.आरपी सिंह ने कहा कि जांच के सुनिश्चित होने से उसका इलाज के बेहदर होने की उम्मीद बढ़ जाती है। इसके लिए हमारा रेडियोडायग्नोसिस विभाग सर्वश्रेष्ठ है। कार्यकारी प्रिंसिपल डा.नीलिमा मेहरोत्रा ने रेडियोडायग्नोसिस के महत्व को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि अब जागरुक मरीज खुद ही अल्ट्रासाइंड जैसी जांच की रिपोर्ट लेकर आते हैं। हालांकि कई बार खुद से करवाई गई जांचों की जरूरत नहीं होती। विशेषज्ञ द्वारा क्लीनिकल जांच के बाद ही और उनके सुझाव पर ही रेडियोडायग्नोसिस से संबंधित जांचें करवानी चाहिए। इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (IRIA) की बरेली शाखा के अध्यक्ष डा.मोहित अग्रवाल ने रेडियोलॉजी को महत्वपूर्ण बताया और बीमारी के उपचार में इसके योगदान को स्पष्ट किया। अंत में कार्यक्रम की कोआर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डा. नम्रता सिंह ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया और आभार जताया। उद्घाटन सत्र का संचालन डा.पल्लवी सिन्हा ने किया। इस मौके पर डीएसडब्ल्यू डा.क्रांति कुमार, डा.शरद जौहरी, डा.पियूष कुमार, डा.अमरेश अग्रवाल, डा.पीके परडल, डा.शशांक शाह, डा.एसके सागर, डा.मिलन जायसवाल, डा.स्मिता गुप्ता, डा.तनु अग्रवाल, डा.शशिबाला आर्य, डा.एमपी रावल, डा.केशव झा, डा.राजीव टंडन, डा.पवन मेहरोत्रा, डा.आशीष मेहरोत्रा, डा.विद्यानंद, डा.हुमा खान, डा.शिप्रा त्रिपाठी, डा.एसके कौशिक, डा.फौजिया खान, डा.आयुष गर्ग सहित तमाम फैकेल्टी मेंबर्स मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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