एसआरएमएस रिद्धिमा में गजल गायकों ने छेड़ा मुहब्बत का तराना
बरेली , 09 अक्टूबर । श्रीराम मूर्ति स्मारक रिद्धिमा में कल की शाम रूमानियत भरी रही। महफिल ए मौसिकी में गजल गायकों ने मुहब्बत का तराना छेड़ा और लोकप्रिय गजलों को अपने स्वर देकर श्रोताओं को कई बार तालियां बजाने को मजबूर कर दिया। महफिल ए मौसिकी का आगाज एसआरएमएस ट्रस्ट की शैक्षिक संस्थाओं के प्लेसमेंट सेल के निदेशक और रिद्धिमा के गायन के विद्यार्थी डा.अनुज कुमार ने मशहूर शायर इब्ने इंशा लिखित और गुलाम अली सहित तमाम गायकों की चहेती गजल ‘कल चौदहवीं की रात थी’ को अपने स्वरों में पिरोकर किया। गायन के विद्यार्थी अतिशय, पंखुड़ी, शालिनी और सताक्षी ने शायर मसरूर अनवर लिखित और मेहंदी हसन की गायी गजल ‘मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो’, मशहूर शायर कतील शिफइ लिखित और जगजीत सिंह की चहेती गजल ‘सुना था कि वो आएंगे अंजुमन में’ और हस्तीमल हस्ती लिखित और जगजीत सिंह की गायी गजल ‘प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है’ को को अपने स्वर दिए। महफिल ए मौसिकी में अतिथि के रूप में डा.वंदना खन्ना ने हफीज होशियारपुरी की गजल ‘मोहब्बत करने वाले कम न होंगे’, डा.रजनी अग्रवाल ने शायर बशीर बद्र की मशहूर और चंदन दास की गायी ‘गजल ना जी भर के देखा न कुछ बात की’, डा.रीता शर्मा ने अमीर कजलबाश लिखित और चंदनदास की गायी गजल ‘हर तरफ हैं धुआं धुआं’ और इंदू परडल ने जावेद कुरैशी लिखित गजल ‘आशियाने की बात करते हो दिल जलाने की बात करते हो’ को अपने स्वर दिए। गायन गुरु स्नेह आशीष दुबे और आयुषि मजूमदार ने क्रमशः बशीर बद्र लिखित ‘खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में’ और फैज अहमद फैज की गजल ‘यूं सजा चांद के छलका तेरे अंदाज का रंग’ को प्रस्तुत किया। श्रोताओं ने गजलों की शाम महफिल ए मौसिकी का देर शाम तक आनंद उठाया। इस मौके पर श्रीराम मूर्ति स्मारक ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, सुभाष मेहरा, डा.प्रभाकर गुप्ता सहित शहर के तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट