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जानें कब से लग रहा है खरमास!, इस महीने में क्या करें और क्या न करें, यहां देखे…

नई दिल्ली। साल के अंतिम महीने में खरमास लगने जा रहा है। खरमास किसी भी प्रकार के शुभ कार्यों विशेषकर विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि खरमास में सूर्य देव का प्रभाव कम हो जाता है, इसलिए खरमास में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। खरमास साल में दो बार आता है, पहला खरमास मार्च के मध्य महीने से लेकर अप्रैल तक रहता है, दूसरा खरमास दिसंबर के मध्य महीने से लेकर जनवरी मध्य तक रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दिसंबर में 15 तारीख से खरमास शुरू हो रहा है, जो नए साल में 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन समाप्त हो जाएगा। तो आइए जानते हैं क्या है खरमास और इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

धनु राशि में सूर्य के गोचर की अवधि को खरमास या खरमास कहा जाता है। खर मास की शुरुआत दिसंबर के मध्य से होती है और जनवरी के मध्य तक रहती है। संक्रान्ति के इस काल में अग्नि तत्व अपने चरम पर होता है। यह समय उन गतिविधियों के लिए उपयोगी है जिनमें वाद-विवाद शामिल है। इस चरण में जलवायु, प्रकृति और मनुष्य के व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जाता है। इस दौरान कोई भी शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास पूरे एक माह तक रहता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव के एक राशि से दूसरे राशि में स्थान परिवर्तन की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। दिसंबर में सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे खरमास लगा रहा है। इसे धनु संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। नए साल 2023 में सूर्य देव 14 जनवरी को धुन राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तो मकर संक्रांति पड़ेगी।

जैसा कि कहा जाता है कि खरमास के दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। ऐसे में 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास के दौरान शादी-विवाह आदि कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। किसी भी नए कार्य की शुरूआत के लिए भी खरमास को अशुभ माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस पूरे माह में सूर्य देव की पूजा करना शुभ माना गया है।
खरमास के पूरे माह में सूर्य देव को तांबे के पात्र से अर्घ्य देना चाहिए।
सूर्य पाठ और सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है। साथ ही घर में यश-वैभव का आगमन होता है।
इन दिनों में गौ माता, गुरुदेव और साधुजनों की सेवा करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।

खरमास में तामसिक भोजन का सेवन न करें।
शराब आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
तांबे के पात्र रखा पानी नहीं पीना चाहिए।
इस मास में कोई भी नई वस्तुएं और वाहन नहीं खरीदनें चाहिए।
गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
कोई भी नया कोराबार इस अवधि में नहीं शुरू करना चाहिए।

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